एक और कसाब

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 अनिल अनूप

एक बार फिर आतंकी हमला हुआ है और इस बार ‘एक और कसाब’ गिरफ्त में आया है, लेकिन एक और विपक्षी ने बदजुबानी की है। क्या ऐसे सियासी नेताओं की आत्मा ‘ठंडी’ हो गई है? क्या जवानों और सैनिकों की शहादत भी ‘फिक्सिंग’ का नतीजा हो सकती है? क्या पाकिस्तान के भीतर ही आतंकियों और उनके अड्डों की तबाही भी ‘फिक्सिंग’ है? क्या कोई देश अपनी ही बर्बादी और गुरबत को ‘फिक्स’ कर सकता है? क्या जम्मू बस स्टैंड पर ग्रेनेड के जरिए आतंकी हमला भी ‘फिक्स’ किया गया था? उसमें एक मासूम नागरिक की मौत हो गई और 32 जख्मी हैं। न जाने मौत का अंतिम आंकड़ा क्या होगा? यदि आने वाले कुछ दिनों में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में या आसपास एक और पुलवामा की साजिश साकार हो जाती है, तो क्या उसे भी ‘फिक्सिंग’ करार दिया जाएगा? डूब मरो नेताओ…तुम्हारा तो खून भी ‘बर्फ’ हो गया है, लिहाजा तुम्हें पुलवामा सरीखा हत्यारा आतंकी हमला भी मोदी-इमरान खान की ‘मैच फिक्सिंग’ लग रहा है। जी हां, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद, पूर्व महासचिव एवं वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने ऐसा ही बयान दिया है। और राहुल गांधी की कांग्रेस ने यह दलील देकर उसे ‘निजी बयान’ करार दिया है कि हरिप्रसाद न तो पार्टी के महासचिव हैं और न ही राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह और चिदंबरम के बयानों को भी ‘निजता’ से एक तरफ सरका दिया गया था। आखिर कांग्रेस किस देश की चिडि़या का नाम है? ये कांग्रेस नेता राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के खिलाफ बदजुबानी क्यों करते हैं? जम्मू बस स्टैंड में आतंकी हमला हिजबुल मुजाहिदीन ने कराया है। ‘एक और कसाब’ के तौर पर जिस यासिर जावेद भट्ट को पुलिस ने दबोच लिया था, उसने ग्रेनेड फेंकने का गुनाह कबूल किया है और बताया है कि उसे ग्रेनेड हिजबुल के कश्मीर कमांडर फारूक भट्ट ने मुहैया कराया था। शुक्र है कि ग्रेनेड लुढ़कता हुआ बस के नीचे गया और फिर फूटा। यदि खुले में विस्फोट होता, तो न जाने कितनी जिंदगियां ‘पत्थर’ हो जातीं। जम्मू में ही बीते नौ महीनों के दौरान ऐसा यह तीसरा आतंकी हमला किया गया है। जम्मू तो भक्ति की धरती है। मां वैष्णो देवी के भक्त बहुत अधिक संख्या में वहां पहुंचते हैं। माहौल ‘जन्नतमय’ लगता है, लेकिन अब ऐसा महसूस हुआ मानो किसी ने भक्ति की हवाओं में ‘बारूद’ घोल दिया हो। क्या ऐसी त्रासदियां भी ‘फिक्स’ हो सकती हैं? एक और खौफनाक खबर आ रही है। खुफिया सूत्रों ने हमारी सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट किया है कि जैश-ए-मुहम्मद ने दक्षिण कश्मीर में ही सुरक्षा बलों पर एक और हमला करने की साजिश रची है। यह हमला भी कार के विस्फोट के जरिए किया जा सकता है। बहरहाल अभी तो आशंका है, लेकिन पुरानी पार्टी कांग्रेस अपनी कुंठाओं से बाज कब आएगी? नेता निजी बयान देते हैं, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के स्तर पर कोई खंडन नहीं किया जाता और न ही कोई कार्रवाई की जाती है। क्या सब कुछ प्रायोजित है? क्या कांग्रेस को प्रधानमंत्री मोदी को ‘पोस्टर ब्वॉय’ कहने से ज्यादा वोट हासिल होंगे? आखिर एक-एक व्यक्ति के जुड़ने से ही कोई पार्टी आकार ग्रहण करती है। यह ‘निजी बयान’ तो एक राजनीतिक बहाना है। आतंकवाद बेहद नाजुक मुद्दा है। अमरीका ने पाकिस्तान के पेंच करने शुरू कर दिए हैं। हालांकि पाकिस्तान हुकूमत का दावा है कि हाफिज सईद के दो संगठनों पर पाबंदी चस्पां कर दी गई है और जैश के मदरसों और मुख्यालयों को कब्जे में ले लिया गया है। पाक की ना’पाक फौज कहती है कि जैश उनके यहां अस्तित्व में ही नहीं है, लेकिन उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी एक इंटरव्यू में कहते हैं कि जैश सरगना मसूद अजहर बहुत बीमार है, घर से भी निकलने की सूरत में नहीं है। किस पर भरोसा किया जाए? यानी पाकिस्तान का आतंकवाद जारी है। जैश और हिजबुल सरीखे आतंकी संगठनों के पीछे पाकिस्तान ही है, यह पूरी दुनिया मान रही है और स्वीकार कर रही है, लेकिन पाकिस्तान खारिज कर रहा है। ऐसे में भारत-पाक के प्रधानमंत्रियों के बीच ‘फिक्सिंग’ कैसे संभव है? कमोबेश भारत को विभाजित दिखाने वाली राजनीति नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री आए और गए, सरकारें बनीं और टूटीं या सत्ता के बाहर हो गईं, लेकिन भारत तो हम सबका राष्ट्र है, मान है, अभिमान है और यथावत स्थिर है। कमोबेश उससे खिलवाड़ करने वाली राजनीति तो नहीं होनी चाहिए। हमारी जनता बेहद जागरूक है। वह ऐसी राजनीति को कभी भी स्वीकार नहीं करेगी। जाग जाओ नेताओ!

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