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विश्व के महान विजेताओं में से एक राजेंद्र चोल प्रथम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अशोक “प्रवृद्ध” कृण्वन्तो विश्‍वमार्यम् तथा स्वदेशो भुवनत्रयम्-अर्थात् सम्पूर्ण विश्‍व को आर्य अर्थात श्रेष्ठ बनायेंगे तथा तीनों लोक अपने ही देश हैं, आदि समानता के वैदिक मंत्र प्रारम्भ से ही भारतवासियों के पुरुषार्थ को प्रेरित करते रहे हैं । सपूर्ण विश्व को श्रेष्ठ बनाने के उद्देश्य से भारतवासी सहस्रों वर्षों पूर्व…