प्रकृति की ओर एक कदम

 प्रकृति सदियों से ही मनुष्य के आध्यात्मिक व सांसारिक जीवन के लिए ही एक प्रेरणा साबित हुई है हमारी विचारधारा, हमारी जीवन-शैली में बदलाव हो या हमारी बेहतरी  लिए प्रकृति का हमेशा से ही हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण किरदार रहा हैं जहाँ एक तरफ प्रकृति ने महान  लेखकों, कवियों, चित्रकारों, संगीतकारों को प्रेरित किया हैं, वहीं वैज्ञानिकों के लिए भी प्रेरणा साबित हुई है, प्रकृति ने हर क्षेत्र में मनुष्य को नई ऊंचाइयों को छुने में मदद की है जैसे -जैसे हम विकसित होते जा रहे हैं, सुख-सुविधाओं की तरफ अग्रसर होते जा रहे हैं, हम प्रकृति से भी और खुद से भी दूर होते जा रहे हैं। जहाँ मनुष्य ने आधुनिकता और टेक्नोलॉजी की ऊंचाइयों को छुआ है वहीं दूसरी ओर प्रकृति को नजर अंदाज कर दिया है आज फिर हमें प्रकृति की प्रेरणाओं और प्रकृति के मूल्यों को फिर से समझने की जरूरत है
मनुष्य अपने जीवन शुरुआत प्रकृति से करता है। प्रकृति हमें पौधे के रूप में सिखाती कि सफ़लता की जड़ें कड़ी मेहनत और सब्र से ही पनपती हैं प्रकृति प्रेरणाओं का भंडार है हमे जरूरत है तो आधुनिकता और टेक्नोलॉजी में व्यस्त जिन्दगी में से थोड़ा सा समय प्रकृति के लिए निकालने की
       प्राकृतिक कानून  प्रकृति के आदेशात्मक नियमों का एक समूह है मानवीय कानून का एक आदर्श है। मनुष्य द्वारा बने हुए कानून प्राकृतिक  के कानून अनुसार होने चाहिए। प्राकृतिक कानून ईश्वरीय कानून है क्योंकि यह मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा लागू की जाती  क्योंकि इसके द्वारा न्याय और अन्याय का निर्णय होता है। यह एक ऐसा मापदंड है जिसके सहारे यह निश्चय किया जाता है कि मनुष्य द्वारा बना हुआ कौन सा कानून उचित है और कौन सा अनुचित। यह आलिखित कानून है क्योंकि यह कानून किसी सिला चट्टान संहिता आदि पर नही वल्कि प्रकृति या ईश्वर की अंगुलियों द्वारा आदमी के दिल और दिमाग पर ही लिखी होती है। क्योंकि यह सभी जगहों पर सब समय में सभी व्यक्तियों या जीवो पर समान रूप से लागू होती है। यह एक शाश्वत कानून हैं  क्योंकि सृष्टि के आदि से लेकर आज तक एक ही रूप में कायम है। मनुष्य इन कानूनों की सहायता से भले और बुरे का ज्ञान प्राप्त करता है प्राकृतिक कानूनों की उत्पत्ति शाश्वत कानूनों से हुई है शाश्वत कानूनों को मनुष्य पूर्ण रूप से नहीं समझ पाता परन्तू प्राकृतिक कानून अधिक बोद्ध गम और स्पष्ट हैं प्राकृतिक कानून विश्व की सभी वस्तुओं में समान रूप से व्याप्त है मनुष्य के अतिरिक्त यह वनस्पतियों और पशुओं आदि में भी व्याप्त है किंतु मनुष्य में प्राकृतिक कानून का सुंदर ढंग से अभिव्यक्त करण हुआ है क्योंकि पौधे और पशु तो अचेतन रूप से कार्य करते हैं परंतु मनुष्य विवेक के साथ कार्य करता है मनुष्य में परोपकार की भावना दीन दुखियों की सहायता करना आज प्रवृत्तियां प्राकृतिक कानून से ही संबंधित है।  व्यापक और विशालकाय ब्रह्मांड में यह बेहद छोटी सी इकाई यानी इंसान हमेशा खतरे में है। अगर आप सिर्फ आसमान को देखें तो यह भी खतरनाक लगता है। इसलिए आपने इस बात की व्याख्या कर ली कि देवता ऊपर आसमान में रहते हैं और वहीं से अपना काम करते हैं, बारिश करते हैं, बिजली चमकाते हैं। ये सब चीजें बस निश्चितता पैदा करने के लिए की गईं। अगर आपको यह नहीं पता हो कि यह सब कैसे हो रहा है तो इसके पीछे की अनिश्चितता आपको मार डालती, क्योंकि आपका शरीर इसे नहीं संभाल सकता। यह अनिश्चितता तभी जाती है, जब आप उस बीज के अंकुर को स्पर्श करते हैं, जो ईश्वर ने आपके भीतर रोपा है। फिर आप निश्चितता की तलाश नहीं करते, आप संभावनाएं तलाशते हैं ।
        प्राकृतिक आपदा का सीधा सम्बन्ध प्रकृति के छेड़छाड़ से जुड़ा है। अगर प्रकृति के साथ खिलवाड़ होता है तो प्रकृति का रौद्र रूप प्रकट होता है जो धरती पर एक तांडव सा दृश्य पैदा करता है। और तमाम जीव-जन्तु के लिये हानिकारक साबित होता है मानव के विकासवाद की दौड़ में हम सब इस वास्तविक प्रकृति को भूल गए हैं, जैसे शेर की दहाड़, हाथी की मस्ती भरी चाल, हिरनों का कुलाचे, खरगोश की धवल काया और फुर्ती, पक्षियों का कलरव और कोयल की मधुर कूक, मैना की बातें, पपीहे की चाल हमें एक अलग दुनिया का आभास कराती है। जिसकी तुलना वर्तमान की प्रकृति से कोसों दूर हो चुकी है मानव जाती ने इन सब की आवाज को छीन लिया है सिर्फ अपनी लालसा के कारण और यही लालसा प्राकृतिक आपदा का कारण बनती जा रही है इंसान प्रकृति से कट गया है तो खुद से भी जुड़ा कैसे रह सकता है!  प्रकृति ने हमें इतना कुछ दिया है कि हम सोच भी नहीं सकते। इस धरती पर जीवन प्रकृति के कारण ही सम्भव है। ब्रह्माण्ड में और भी कई ग्रह हैं लेकिन इस प्रकृति के बिना वहाँ जीवन सम्भव नहीं है। इस प्रकार प्रकृति हमारे जीवन का आधार है। धरती पर हर स्थान पर प्रकृति एक जैसी नहीं है। स्थान के अनुसार प्रकृति अपना रूप-रंग बदल लेती है और उस स्थान के अनुसार हमें संसाधन उपलब्ध कराती है साथ ही हमारे मन, हमारी आँखों को सुकून प्रदान करती है।
          प्रकृति नें हमें इतना कुछ दिया है कि हम सोच भी नहीं सकते। इस धरती पर जीवन प्रकृति के कारण ही सम्भव है। ब्रह्माण्ड में और भी कई ग्रह हैं लेकिन इस प्रकृति के बिना वहाँ जीवन सम्भव नहीं है। इस प्रकार प्रकृति हमारे जीवन का आधार है। धरती पर हर स्थान पर प्रकृति एक जैसी नहीं है। स्थान के अनुसार प्रकृति अपना रूप-रंग बदल लेती है और उस स्थान के अनुसार हमें संसाधन उपलब्ध कराती है साथ ही हमारे मन, हमारी आँखों को सुकून प्रदान करती है।प्रकृति हमें इतना कुछ देती है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम इसके महत्व को जानते हुए इसका सम्मान करें ।

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