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खुला पुस्तकालय जंगल में - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बालवाटिका पढ़ पढ़कर, कालू बंदर हो गये विद्वान| इसी बात का हाथीजी ने ,शेर चचा का खींचा ध्यान| देखो तो यह कालू बंदर, पढ़ लिखकर हो गया महान| हम तो मात्र हिलाते रह गये ,अपने पूँछ गला और कान| बाल वटिका बुलवाने का ,खुलकर किया गया एलान| शाल ओढ़ाकर बंदरजी…