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“गण”से दूर होता “तंत्र” - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अंकुर विजयवर्गीय “26 जनवरी को मैंने सोचा है कि आराम से सुबह उठूंगा, फिर दिन में दोस्तों के साथ फिल्म देखने जाना है, इसके बाद मॉल में जाकर थोड़ी शॉपिंग और फिर रात में दोस्तों के साथ दारू के दो-दो घूंट। क्यूं तुम भी आ रहे हो ना अंकुर।” अब…