ओवैसी की देश विरोधी राजनीति और देश की सज्जन शक्ति

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हमारे देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि यदि सरकारें अच्छा काम करती हैं तो उनका कुछ लोग विरोध करते हैं , परंतु उनके विरोध को शांत करने के लिए सरकार के समर्थन में सड़कों पर उतरना गलत माना जाता है । जबकि देश की मुख्यधारा में विश्वास रखने वाली देश की बड़ी आबादी को अपनी रोजी-रोटी से कुछ अलग हटकर सरकार के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण और नीतियों का समर्थन करने के लिए भी सड़कों पर उतरना चाहिए । जिससे सरकार को निर्णय लेने में तो सुविधा होगी ही साथ ही देशद्रोही या राष्ट्रवाद का विरोध करने वाली शक्तियों का मनोबल तोड़ने में भी सहायता मिलेगी ।
देश की सज्जन शक्ति अर्थात मुख्यधारा में विश्वास रखने वाले राष्ट्रवादी लोग जब इस प्रकार की नीरसता का प्रदर्शन कर अपनी रोजी-रोटी तक अपने आपको सीमित रखते हैं तब राष्ट्रविरोधी शक्तियों को समाज में अराजकता उत्पन्न करने और सरकार के राष्ट्रवादी निर्णय में अड़ंगा डालकर अपनी देशद्रोही मांगों को मनवाने में सफलता मिल जाती है।
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली कहने के लिए तो सबसे अच्छी शासन प्रणाली है, परंतु इसमें भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर संवैधानिक अधिकारों की आड़ में देशद्रोही कार्य को भी लोग संविधान सम्मत ठहराने का प्रयास करते देखे जाते हैं। यदि कमजोर इच्छाशक्ति का कोई ‘बेअसरदार सरदार’ शासन कर रहा हो तो निश्चय ही ऐसी राष्ट्रद्रोही शक्तियों का मनोबल दिन दूना रात चौगुना बढ़ता जाता है।
अब समाचार आया है कि  हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी  ने कहा है कि अगर देश में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर बनाने का शेड्यूल तय हो चुका है तो जल्द ही इसके विरोध का भी शेड्यूल फाइनल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स अर्थात एनआरसी का पहला चरण नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है। एक खबर का लिंक शेयर करते हुए  ओवैसी ने लिखा, “एनपीआर एनआरसी की ओर पहला कदम है। भारत के गरीबों को इस प्रक्रिया में मजबूर नहीं किया जाना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप उन्हें ‘संदिग्ध नागरिक’ के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। यदि एनपीआर के काम के शेड्यूल को अंतिम रूप दिया जा रहा है, तो इसका विरोध करने के लिए कार्यक्रम को भी अंतिम रूप दिया जाएगा।”
यहां पर यही बात स्पष्ट करना हमारा उद्देश्य है कि यदि ओवैसी को सरकार के किसी ऐसे संभावित निर्णय का विरोध करने का संविधानिक अधिकार प्राप्त है तो देश के उन कोटि-कोटि लोगों को सरकार के इस प्रकार के निर्णय का स्वागत करने और उनके समर्थन में सड़क पर उतरने का भी उतना ही अधिकार है जितना ओवैसी को विरोध करने का है । यह तब और भी अधिक आवश्यक हो जाता है जब देश इस समय जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में पहुंच चुका है और देश में प्रतिदिन बेरोजगारों व भुखमरी में रहने वाले गरीब लोगों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है।
यह ध्यान रखना चाहिए कि मुस्लिम जनसंख्या देश में जिस प्रकार प्रतिदिन बढ़ती जा रही है उससे अगले 40 वर्ष में भारतवर्ष संसार का सबसे बड़ा ऐसा देश होगा जहां मुस्लिम आबादी सबसे अधिक रह रही होगी । हम किसी संप्रदाय विशेष के विरोध की बात नहीं कर रहे हैं और ना ही सांप्रदायिक आधार पर किसी व्यक्ति का विरोध होना चाहिए , परंतु सत्य और तथ्य यही है कि मुस्लिम आबादी आज भी जहां जहां पर है वहीं वहीं पर हिंसा, अत्याचार ,खून खराबा मारकाट ,लूट, डकैती और बलात्कार की घटनाएं अधिक होती हैं । इतना ही नहीं लव जिहाद के नाम पर जिस प्रकार हिन्दुओं की बहू बेटियों के साथ अत्याचार हो रहे हैं उन सबसे यह स्पष्ट होता है कि जब 40 वर्ष बाद देश में सबसे अधिक मुसलमान रह रहे होंगे तब क्या स्थिति होगी ?
जनसंख्या की वर्तमान दर यदि निरंतर बनी रहती है तो देश में बेरोजगारी, भुखमरी ,गरीबी आदि इतनी बढ़ जाएंगी कि इसकी संभाले नहीं संभल ही जाएगी तब अराजकता होगी और उस अराजकता से जो खून खराबा देश में फैलेगा उससे देश को उभरने में सदियों लग जाएंगी। वास्तव में वही स्थिति जनसंख्या विस्फोट की होती है । जिसमें सरकार असहाय हो जाती है और समाज अराजकता का शिकार बन जाता है।
हिंदू महासभा और सभी ऐसे राष्ट्रवादी हिंदूवादी राजनीतिक दल देश में जनसंख्या विस्फोट से बचने के लिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने की मांग कई दशकों से करते चले आए हैं, परंतु कांग्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्षवादी सरकारों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया । अब केंद्र की मोदी सरकार को इस ओर निश्चित ही ध्यान देना चाहिए । यदि केंद्र की मोदी सरकार ऐसा कोई कानून लाती है तो हमारा स्पष्ट मानना है कि उस समय हिंदू महासभा सहित अन्य सभी राष्ट्रवादी हिंदूवादी राजनीतिक दलों को सरकार का समर्थन करने के लिए सड़क पर उतरना चाहिए ।
यदि एनआरसी का विरोध करने के लिए कुछ राजनीतिक दल सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से समाज विरोधी लोगों को अपना समर्थन दे सकते हैं और सरकार को अस्थिर कर सत्ता में आने का षड्यंत्र रच सकते हैं तो देश के राष्ट्रवादी हिंदूवादी राजनीतिक दलों या सामाजिक संगठनों को ऐसा करने का अधिकार क्यों नहीं ? निश्चित रूप से यदि अच्छी बातों का विरोध करने का अधिकार संविधान ने राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को प्रदान किया है तो अच्छे निर्णयों का समर्थन करने के लिए सड़क पर उतरने का अधिकार भी सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को प्राप्त है। ऐसे समय में किसी भी प्रकार की ओच्छी राजनीति न करके राष्ट्रवादी सरकार के मजबूत निर्णयों का समर्थन कर देश में राष्ट्रवाद को बल प्रदान करना ही देश की सबसे बड़ी सेवा होती है। देश की सज्जन शक्ति यदि इस प्रकार के निर्णय लेने के लिए मन बना ले तो निश्चय ही देश विरोधी लोगों को सरकार के सही निर्णयों में अड़ंगा डालकर अपनी मांगों को मनवाने का अवसर प्राप्त नहीं हो पाएगा । देश की सज्जन शक्ति दु:खी भी केवल इसलिए रहती है कि वह सही समय पर अपने लिए काम करने वालों का मनोबल बढ़ाने के लिए आगे नहीं आती।
हमें आशा करनी चाहिए कि यदि इस बार ओवैसी किसी प्रकार की ओछी राजनीति करते हुए सड़क पर उतरेंगे तो देश की सज्जन शक्ति भी उसका प्रतिकार करने के लिए सड़क पर आकर यह आवाज लगायेगी कि हम सरकार के राष्ट्रवादी निर्णय के साथ हैं और जो लोग इस प्रकार के निर्णय का विरोध कर रहे हैं वह देशद्रोही और राष्ट्र विरोधी हैं।

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