स्वतंत्रता दिवस पर एक नारी की पीड़ा

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71 वर्ष हो गये आजादी के,पर मैं अभी आजाद नहीं
दर दर ठोकरे खाती हूँ,पर कही मैं अभी आबाद नहीं

बचपन में पिता,जवानी में पति,बुढापे में पुत्र के आधीन रही
कैसा बीता मेरा ये जीवन, क्या किसी को यहाँ मालूम नहीं

बाहर निकल कर नहीं सुरक्षित,घर में भी मैं सुरक्षित नहीं 
कैसे है मेरा असुरक्षित जीवन,क्या संसार को ये पता नहीं

करती हूँ जीवन भर सब की सेवा,फिर भी मिलता विश्राम नहीं
कैसी है ये देश की आजादी,कोई भी बतलाता मुझे अब नहीं

कहते है नारी देवी स्वरुप है,पर इसको क्यों नही समझता नहीं
सबको जनम देने पर भी ,मेरे जीवन का कोई अस्तित्व नहीं

इस अपमानित जीवन से अभी तक आजादी मुझे मिली नहीं
कैसे कह दू ये स्वतन्त्रता दिवस है,जब तक मैं स्वतन्त्र नहीं

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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