पाक को ललकार

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आरके रस्तोगी

अंधों को दर्पण क्या देना,
बहरों को भजन सुनाना क्या,

जो रक्त पान करते उनको,
गंगा का नीर पिलाना क्या,

हमने जिनको दो आँखे दीं,
वो हमको आँख दिखा बैठे,

हम शांति यज्ञ में लगे रहे,
वो श्वेत कबूतर खा बैठे,

वो छल पे छल करता आया,
हम अड़े रहे विश्वासों पर,

कितने समझौते थोप दिए,
हमने बेटों की लाशों पर,

अब लाशें भी यह बोल उठीं,
मत अंतर्मन पर घात करो,

दुश्मन जो भाषा समझ सके,
अब उस भाषा में बात करो,

वो झाडी है,हम बरगद हैं,
वो है बबूल हम चन्दन हैं,

वो है जमात गीदड़ वाली,
हम सिंहों का अभिनन्दन हैं,

ऐ पाक तुम्हारी धमकी से,
यह धरा नही डरने वाली,

यह अमर सनातन माटी है,
ये कभी नही मरने वाली,

तुम भूल गए सन अड़तालिस,
पैदा होते ही अकड़े थे,

हम उन कबायली बकरों
की गर्दन हाथों से पकडे थे,

*तुम भूल गए सन पैसठ को,*
तुमने पंगा कर डाला था,

*छोटे से लाल बहादुर ने*
तुमको नंगा कर डाला था,

*तुम भूले सन इकहत्तर को,*
जब तुम ढाका पर ऐंठे थे,

*नब्बे हजार पाकिस्तानी,*
घुटनो के बल पर बैठे थे,

*तुम भूल गए करगिल का रण,*
*हिमगिरि पर लिखी कहानी थी*

इस्लामाबादी गुंडों को जब
बेटा याद दिलाई नानी थी,

तुम सारी दुर्गति भूल गए,
फिर से बवाल कर बैठे हो,

है उत्तर खुद के पास नही
हमसे सवाल कर बैठे हो,

*बिगड़ैल किसी बच्चे जैसे*
*आलाप तुम्हारे लगते हैं,*

*तुम भूल गए हो रिश्ते में*
*हम बाप तुम्हारे लगते हैं,*

बेटा पिटने का आदी है,
बेटा पक्का जेहादी है,

शायद बेटे की किस्मत में,
बर्बादी ही बर्बादी है,

तेरी बर्बादी में खुद को,
बर्बाद नही होने देंगे,

हम भारत माँ के सीने पर
जेहाद नही होने देंगे,

तू रख हथियार उधारी के,
हम अपने दम से लड़ लेंगे,
गर एटम बम से लड़ना हो
तो एटम बम से लड़ लेंगे,

जब तक तू बटन दबायेगा,
हम पृथ्वी नाग चला देंगे,

तू जब तक दिल्ली ढूंढेगा,
हम पूरा पाक जला देंगे,

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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