”पाक की ‘नापाक साजिश

विजन कुमार पाण्डेय

नियंत्रण रेखा पर दो सैनिकों की हत्या कर दी गर्इ। एक का गला काटकर हत्या की गर्इ। पाकिस्तानी सैनिको ने भारतीय जवानों की हत्या करने के बाद जश्न मनाया। एक दूसरे को बधार्इ दिया। कटे शव को लाने के लिए पांच लाख के इनाम की घोषणा किया गया। यह है पाकिस्तान का नंगा नाच। देश के दो बहादुर बेटे शहीद हो गये हैं। उस परिवार के बारे में सोचिए जो बिना सर के अपने बेटे को दफनाया है। वे मांग रहे है अपने शेर का सिर। लेकिन कौन लाएगा इसे। क्या यह सरकार लाएगी। कभी नहीं। इस कमजोर सरकार से कोर्इ आशा न करें। यह सब हमारी कमजोर सरकार का नतीजा ही तो है। पाकिस्तान सेना ने दो भारतीय सैनिकों को मार दिया और एक सैनिक के शव को बुरी तरह क्षत-विक्षत कर दिया है। इस पर पाकिस्तान का कहना है कि भारत की ओर से जो कुछ भी कहा जा रहा है वह उसके दुष्प्रचार का हिस्सा है। वहां के विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि उनके देश ने आंतरिक जांच करार्इ है और भारतीय सैनिकों की हत्या में पाकिस्तानी सेना की कोर्इ भूमिका नहीं है। उनका कहना है कि मैं नहीं जानती कि अब और क्या कहूं। हमने अपनी जांच पूरी कर ली है। अगर भारत को इस पर भरोसा नहीं है तो फिर हम किसी तीसरे देश की निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं। पाकिस्तान आज से नहीं पहले भी कर्इ बार झूठ बोलता रहा है। लेकिन पता नहीं भारत की क्या मजबूरी है कि वह सब को अनदेखी करता रहा है। पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों को मार कर उसे भड़काने का काम फिर किया है। इस घटना से ठीक दो दिन पहले पाकिस्तानी सेना ने भी भारत के खिलाफ ऐसे ही आरोप लगाए थे जिसमें उसने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने उसके एक सैनिक को मार गिराया जबकि एक सैनिक को घायल कर दिया गया। पाकिस्तान शायद अभी भी नहीं सुधरेगा। वह हमेशा से इस ढंग की हरकत करके सीमापार से घुसपैठ करा देता है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि ये हरकत अस्वीकार्य, अमानवीय और अदूरदर्शी है। हमें इसका जवाब देना होगा और हम देंगे भी। अब प्रश्न यह है कि वे जवाब कब देगें। वैसे यह घटना दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को रोकने की मंशा से की गर्इ है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाने के बजाय उसे वैशिवक स्तर पर शर्मिदा किया जाना चाहिए। इधर भारत बड़े उत्साह के साथ बातचीत का दौर आगे बढ़ा रहा था। लेकिन इस चेतावनी के बाद भारत को पाकिस्तान के समक्ष एक लाल रेखा खींचनी होगी। अब पाकिस्तान पर आंख बंद कर भरोसा करना एक भूल होगी। भारत पाकिस्तान के बीच आपसी रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए बीते साल कर्इ मोर्चों पर एक साथ कोशिश हुई। लेकिन अब इस हरकत से इन कोशिशों पर पानी फिर जाएगा। भारत और पाकिस्तान के बीच बीते साल सबसे बड़ा समझौता हुआ। इसके तहत दोनों देशों ने एक दूसरे के नागरिकों के लिए वीजा नीति को उदार बनाने पर सहमति हुर्इ। हालांकि पाकिस्तान के गुह मंत्री रहमान मलिक इस समझौते के पक्ष में नहीं थे। यही वजह थी कि इस समझौते पर हस्ताक्षर होने में मार्च 2012 से सितंबर 2012 तक का वक्त लगा। भारत और पाकिस्तान के बीच 2012 में आपसी संबंध इतने सहज हो गए कि पाकिस्तान भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशंस का दर्जा देने को तैयार हो गया। हालांकि इसके लिए पाकिस्तान में बहुत विरोध हुआ। यह सब हमारे लिए एक संकेत है। संकेत तो हमेशा से हमें सचेत करते रहे हैं। लेकिन हमारे राजनेताओं के आंख पर पट्टी बधी हुर्इ है।

भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी रिश्तों को मधुर बनाने में क्रिकेट डिप्लोमेसी का इस्तेमाल भी दोनों देश के राजनेता करते रहे हैं। हाल के सालों में पाकिस्तान में इंटरनेशनल क्रिकेट का आयोजन नहीं हो रहा है। ऐसे में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड से क्रिकेट सीरीज खेलने की गुजारिश की। भारत इस सीरीज के लिए मान गया। क्रिकेट की सीरीज की कामयाबी के बाद दोनों देशों के बीच मार्च में हाकी सीरीज भी प्रस्तावित है। अब इस सीरीज को भारत बंद कर दे। अभी पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक आए थे। वे अपनी तीन दिन की यात्रा सम्पन्न कर पाकिस्तान लौटे तो उनकी इस यात्रा का आकलन करते समय यह समझ में नहीं आया कि निष्कर्ष क्या निकाला जाए। यहां आने का उनका क्या मकसद था। भारत की तरफ से उनकी आक्रामक शैली के समक्ष लाचारी का प्रदर्शन क्यों किया गया? सच्चार्इ तो यह है कि भारत-पाकिस्तान के बीच साधारण मित्रों जैसे सम्बंध हो ही नहीं सकते। एक दिन ऐसा आएगा कि दोनों देश आपस में लड़ते-लड़ते एक हो जाएंगे। पाकिस्तान दुनिया के मानचित्र पर रह ही नहीं जाएगा।

अभी हाल ही में पाकिस्तानी सेना ने अपनी सैन्य नीति में बहुत बड़ा बदलाव करते हुए माना है कि पाकिस्तान की सुरक्षा को भारत से नहीं बलिक देश के भीतर से ज्यादा खतरा है। पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रकाशित नए सैन्य सिद्धांत में कहा गया है कि देश की पश्चिमी सीमाओं और कबायली क्षेत्रों में जारी गुरिल्ला युद्ध और देश के भीतर लगातार बम हमले को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। सेना ने अपने नए दस्तावेज में पश्चिमी सीमा से उठे खतरे की बात कही है लेकिन अफगानिस्तान का नाम नहीं लिया है। साथ ही इस दस्तावेज में किसी चरमपंथी संगठन का नाम भी नहीं लिया गया है। यह डाकिट्रन पाकिस्तानी सेना अपनी युद्ध तैयारियों की समीक्षा और योजनाओं को जरूरी दिशा में रखने के लिए प्रकाशित करती है। कर्इ दशकों से पाकिस्तानी सेना की ज्यादातर तैयारियां और हथियारों की खरीद भारत से लड़ने के लिए की जाती रही है। पाकिस्तान जब से बना है वह भारत को सबसे बड़ा खतरा मानता रहा है। लेकिन सच्चार्इ यह है कि उसको खतरा उन गुरिल्ला युद्ध लड़ने वालों से या उन लोगों और संगठनों से है जो अफगानिस्तान में पनाह लेते हैं और पाकिस्तान पर हमला करते हैं।

भारत युद्धविराम जैसी योजनाओं से खुद को झूठी दिलासा देना चाहता है। पाकिस्तान की लगातार गुस्ताखी के बावजूद भारत शांतिवार्ता, बालीवुड और क्रिकेट के जरिए रिश्तों को बहाल करने की कोशिश में लगा है। लेकिन इसका कोर्इ फायदा नहीं है। लोहे को केवल लोहा ही काट सकता है। आज उनके मां-बाप से पूछिए जिनका बेटा शहीद हो गया। वे अपने शेर बेटे के सर मांग रहे हैं। शेरनगर का शेर अब हमारे बीच नहीं रहा। पाकिस्तान कितना झूठ बोल रहा है यह सबको मालूम है। हमारी सरकार तो पहले से ही बहुत कमजोर है। यह कुछ भी नहीं कर सकती। वह तो केवल समय काट रही है। उसे पता है कि समय बीतते ही इस घटना को लोग भूल जाएंगे। अभी जो तीव्रता है वह बाद में नहीं रहेगी। वह तो शांति वार्ता चाहती है। ऐसी वार्ता दुश्मनों से नहीं हाती। दुश्मन कभी दोस्त नहीं हो सकता। अगर कभी वह दोस्त बन भी जाता है तो एक न एक दिन पीछे से वार जरूर करेगा। अभी भी समय है पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखा दिया जाए कि दुबारा ऐसी हरकत करने की उसकी हिम्मत न पड़े। यही होगी शेरनगर के शेर को सच्ची श्रद्धांजली।

 

1 COMMENT

  1. सच्चार्इ तो यह है कि भारत-पाकिस्तान के बीच साधारण मित्रों जैसे सम्बंध हो ही नहीं सकते। एक दिन ऐसा आएगा कि दोनों देश आपस में लड़ते-लड़ते एक हो जाएंगे। पाकिस्तान दुनिया के मानचित्र पर रह ही नहीं जाएगा।भारत युद्धविराम जैसी योजनाओं से खुद को झूठी दिलासा देना चाहता है। पाकिस्तान की लगातार गुस्ताखी के बावजूद भारत शांतिवार्ता, बालीवुड और क्रिकेट के जरिए रिश्तों को बहाल करने की कोशिश में लगा है। लेकिन इसका कोर्इ फायदा नहीं है। लोहे को केवल लोहा ही काट सकता है। आज उनके मां-बाप से पूछिए जिनका बेटा शहीद हो गया। वे अपने शेर बेटे के सर मांग रहे हैं। शेरनगर का शेर अब हमारे बीच नहीं रहा। पाकिस्तान कितना झूठ बोल रहा है यह सबको मालूम है। हमारी सरकार तो पहले से ही बहुत कमजोर है। यह कुछ भी नहीं कर सकती। वह तो केवल समय काट रही है। उसे पता है कि समय बीतते ही इस घटना को लोग भूल जाएंगे। अभी जो तीव्रता है वह बाद में नहीं रहेगी। वह तो शांति वार्ता चाहती है। ऐसी वार्ता दुश्मनों से नहीं हाती। दुश्मन कभी दोस्त नहीं हो सकता। अगर कभी वह दोस्त बन भी जाता है तो एक न एक दिन पीछे से वार जरूर करेगा। अभी भी समय है पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखा दिया जाए कि दुबारा ऐसी हरकत करने की उसकी हिम्मत न पड़े। यही होगी शेरनगर के शेर को सच्ची श्रद्धांजली।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here