अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ‘ना’ के बाद बौखलाया पाकिस्तान

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के नकारने के बाद पाकिस्तान के सामने चुनौतियों का नया अध्याय शुरू हो जाएगा।आर्थिक तंगी व विभिन्न तरह के कर्जों के समुंद्र में गोता खा रहा पड़ोसी आतंकी मुल्क पाकिस्तान को आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी ठेंगा दिखा दिया। उन्होंने कर्ज देने से फाइनली मना कर दिया है। देनदारी के लिहाज से पाकिस्तान टॉप-10 देशों में शुमार तो पहले से ही है। सवाल उठता है कर्ज नहीं मिलने से क्या होगा पाकिस्तान का? पाक ने आईएमएफ से करीब छह अरब डॉलर का कर्ज मांगा था जिसके लिए कई महीनों से कोशिश कर रहा था। कर्ज नहीं मिला वह अलग बात है, इससे उनकी चीन के साथ तनातनी भी बढ़ सकती है। क्योंकि चीन ने पाकिस्तान की गारंटी देने से इंकार किया है। पाकिस्तान आज एक बात ठीक से से समझ गया होगा कि सांप को कितना भी दूध क्यों न पिलाओ, अंत डंक मारने से नहीं चूकेगा, खैर जैसे को तैसा ही चाहिए।
निश्चित रूप से आईएमएफ के झटके के बाद खासकर प्रधानमंत्री इमरान खान को गहरा सदमा लगेगा। दरअसल, पाकिस्तान की परिस्थितियां पहले के मुकाबले अब बदली हुई हैं, जिससे समूचा संसार भली भांति परिचित है। तालिबानियों द्वारा अफगानिस्तान में जबरन कब्जा करने के बाद उनके आतंकियों की पनहगार बना हुआ है, उनकी आईएसआई भी नए-पुराने आतंकियों की खातिरदारी में मशगूल है। कुल मिलाकर आतंकियों की अब नई नर्सरी वहां तैयार हो रही है, जिसने अप्रत्यक्ष रूप से मध्य एशियाई देशों के लिए मुसीबत के संकेत भी दिए हैं। दुनिया ये बात जानती है कि पाकिस्तान को ऐसे माहौल में विदेशों से कर्ज लेने का मकसद आतंकी गतिविधियों को और बढ़ाना है। पाक में घोर किस्म की तंगी का माहौल, जनता भूखमरी के कगार पर पहुंच चुकी है, नौकरियां खत्म हो चुकी हैं, नई भर्तियों पर काफी समय से रोक लगी है। आर्थिक स्थिति का रोना रोकर विदेशों से फंड हथियाने का फार्मूला भी फेल हो रहा है।
कर्ज लेने की सच्चाई कुछ और भी है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास पुख्ता सबूत हैं कि अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जे के बाद पाकिस्तान, तालिबान, चीन और उनके जैसे कुछ मुल्क नापाक कोशिशों को अंजाम देने के फिराक में हैं। ऐसे में आधुनिक हथियार उनको चाहिए, पैसे भी चाहिए, जिसकी पूर्ति के लिए तरह-तरह की तरकीब खोज रहे हैं। पाक के वित्त मंत्री शौकत तारिक कुछ माह पहले अमेरिका गए थे, जहां करीब दो सप्ताह रहे, उस दौरान उन्होंने वह वॉशिंगटन में डेरा डालकर मुद्रा कोष के अधिकारियों का मान मनौव्वल किया। बावजूद इसके आईएमएफ के लोग उनके झांसे में नहीं आए, वह अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुए, परसों उन्होंने फाइनली फैसला किया कि वह पाकिस्तान को कर्ज के रूप में अब फूटी कौड़ी तक नहीं देंगे। उनके निर्णय से पाकिस्तान का बौखलाना स्वाभाविक भी है। 
आईएमएफ से मुंह की खाने के बाद उनके नेताओं का बयान आना शुरू हुआ है जिसमें उनका आरोप है कि भारत के दबाव में यह निर्णय लिया गया, जबकि इससे भारत का कहीं से कहीं तक कोई लेना-देना नहीं? कुछ चलन ऐसा चल पड़ा है कि पाकिस्तान को आज जो भी गाली देता है, पीटता है, बुरा-भला कहता है तो उससे वह सीधा नाम हिंदुस्तान या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़ दते हैं। जबकि, सच्चाई ये है वह अपनी करनी की ही सजा भुगत रहा है। उनकी हालत मौजूदा वक्त में इतनी खस्ता है कि डॉलर के मुकाबले उनका रुपया भी लगातार नीचे खिसक रहा है। वर्तमान में पाक मुद्रा बाजार में डॉलर के दाम 172 रुपये पर पहुंचा हुआ है। वहीं, जनता महंगाई की आग में झुलस रही है। मुद्रास्फीति दर 12 फीसदी जा पहुंची है। पाकिस्तान पहले से विश्व के उन 10 देशों में शामिल है, जिन पर पर सबसे ज्यादा कर्ज है। 
बहरहाल, पाकिस्तान काफी समय से आईएमएफ से कर्ज मंजूरी का प्रयास कर रहा था। मिल भी जाता, पर उनकी कुछ शर्तें थीं, मुद्रा कोष चाहता था कि पाकिस्तान अपने नागरिकों से ज्यादा कर राजस्व वसूल करे। इस पर पाकिस्तान ने बिजली व ईंधन के दाम बढ़ा भी दिए थे, फिर भी आईएमएफ नहीं माना। पाकिस्तान में बीते एकाध महीनों से महंगाई सर्वाधिक ऊंचाई पर है। सब्जियों से लेकर बिजली, ईंधन तक महंगाई की मार है। किसी भी सूरत में इमरान खान सरकारी खजाना भरना चाहते हैं, क्यों भरना चाहते हैं उसकी तस्वीर सामने हैं। उनकी नापाक हरकत और नापाक सोचें भविष्य में असर दिखाएंगी, ऐसा प्रतीत अभी से होने लगा है। पाकिस्तान जबसे चीन के चंगुल में फंसा है, तभी से वह कंगला हो गया है। चीन कभी खुद कोई हरकत नहीं करता, दूसरों से करवाता है, इसलिए वह पाकिस्तान का जमकर इस्तेमाल कर रहा है।
कश्मीर में आतंकी गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। खुदा न खास्ता आईएमएफ से उन्हें कर्ज मिल भी जाता तो उसका इस्तेमाल चीन इन्हीं कामों के लिए पाकिस्तान से करवाता। आईएमएफ से कर्ज लेने की कुछ शर्तें होती हैं। जैसे कि कर्ज लेते वक्त कुछ देशों को गारंटी देनी होती हैं, लेकिन पाकिस्तान के पक्ष में गारंटी देने को कोई देश राजी नहीं हुआ। यहां तक चीन भी नहीं? फिर भी पाकिस्तान अपनी औकात को नहीं आंक रहा। बिल्कुल मति मारी हुई है। मुद्राकोष ने पाकिस्तान को सितंबर में राजस्व बढ़ाने को कहा था, आईएमएफ देखना चाहता है वह कितना धन जुटा पा रहा है। उस आधार पर एक रिपोर्ट को समिट करने को कहा था। जब रिपोर्ट देखी तो उसमें आईएमएफ को लगा, तय मियाद पर वह कर्ज नहीं लौटा सकता तभी उन्होंने कर्ज देने से साफ मना कर दिया। 
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बीते दो-तीन सालों से हिचकौले मार रही है ये बात भी आईएमएफ को पता है। इस स्थिति में कोई भी किसी को कर्ज नहीं दे सकता। पाकिस्तान पहले से कई जगहों से ब्लैकलिस्ट में है। वर्ल्ड बैंक ने पहले से हाथ खींचा हुआ है। सऊदी अरब ने तो पहले से पाकिस्तान का सहयोग करने से मना कर चुका है अब उसके खास दोस्त चीन ने भी गारंटी देने से इनकार कर दिया। इमरान सरकार राजस्व बढ़ाने में क्यों विफल हुए इसके पीछे का कारण भी साफ है। दरअसल, वहां भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। अधिकारियों से लेकर कारोबारी सभी भ्रष्ट हैं। सरकार अगर टैक्स बढ़ाना भी चाहेंगी तो उनकी सरकार गिरने में देर नहीं लगेगी। उनकी सरकार वहां के कारोबारी चला रहे हैं। बिजली, पानी, खाद्य और तेल महंगा करके वैसे ही आम पाकिस्तानियों की कमर तोड़ी हुई है।

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