थाना में पांडे जी की बजी सीटी

देवेंद्रराज सुथार

थाना में ऑन ड्यूटी सीटी बजाने वाले पांडे जी की आजकल सीटी बजी हुई है। दबंग दारोग़ा दागी की वर्दी में दलिया, चने की दाल और बिना घी लगायी रोटी खाने को विवश है। मृग के बाद जेल में मच्छर भी उन्हें कोई कम परेशान नहीं कर रहे हैं। अपने एक इशारे पर हीरोइन को ‘ताता धईया, ताता धईया’ कराने वाला हीरो अब खुद कानून के इशारे पर ‘हिप हॉप’ डांस करने को मजबूर है। क्योंकि हीरो का इसमें कसूर है। आजतक तो ये ही सुना था कि ‘एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है’ लेकिन, अब यह भी सुनने में आ रहा है कि ‘एक अश्वेत मृग आदमी को मुजरिम बना देता है।’ जेल दर्शन करवा देता है। फिल्मों में गुंडों की खटिया खड़ी करने वाले हीरो को जेल की खटिया पर सुला देता है। एक अश्वेत मृग बॉलीवुड के करोड़ों रुपये को दांव पर लगाने की हिम्मत रखता है। केवल एक अश्वेत मृग ‘एयर कंडीशनर की हवा’ खाने वाले को ‘हवालात की हवा’ खिलाने की भी क्षमता रखता है। एक बार कमिटमेंट करने के बाद अपने आप की भी नहीं सुनने वाले हीरो की कानून के आगे एक भी नहीं सुनी गई। कानून के बड़े बड़े हाथों ने उठाकर उसे असली जगह पर पहुंचा ही दिया। आखिर हीरो की ‘चोरी-चोरी चुपके-चुपके’ की गई कारस्तानी बाहर आ ही गई। अब चाहे तो हीरो गा सकता है – तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही है… मुझको सजा दी…ऐसा क्या गुनाह किया तो… लुट गए…हाँ लुट गए…तो लुट गए..! इधर, हीरो के जेल प्रस्थान से काले मृगों की बिरादरी में खुशी का माहौल है। हीरो की गोली का शिकार हुए मृग की भटकती आत्मा को मोक्ष मिल गया है। अश्वेत मृगों में देश के कानून के प्रति इज्जत काफी बढ़ गई है। अब वे भी अपने छप्पन इंची सीने को ठोंककर अपने को लोकतांत्रिक देश का काला मृग कह सकते है। पर्यावरण प्रेमियों में हीरो के जेल जाने से अपार हर्ष देखते ही दिखाई पड़ रहा है। काले हिरणों की इस खुशी से जंगल के दूसरे प्राणियों को ‘हिस्टीरिया’ होने लग गया है। अब जंगल में जुगुप्सा से काले हिरण को देखा जाने लगा। इसका कारण यह है कि दूसरे प्राणियों में वो क्षमता किसी संप्रदाय ने विकसित नहीं की है, जिससे वे भी अपने पर अत्याचार व अपनी हत्या करने वाले को जेल में चक्की पीसने के लिए भेज चुके। खैर ! अपना-अपना नसीब? लेकिन हीरो पैसे वाला है और उसकी प्रसिद्धि का स्तर बड़ा ही हाई है। वो ज्यादा समय के लिए जेल में ठहरेगा नहीं ! अपितु ‘जेल’ को ‘बेल’ दिखाकर ‘बाय-बाय’ कर देगा। क्योंकि इस देश में ‘विटामिन एम’ के आगे सजा भी छोटी हो जाती है। इधर, आसाराम को आरोपी तीन हीरोइनों का बेस्रबी से इंतजार था। लेकिन, वे हुस्न की मल्ल्किाएं तो छूट गई। और राम को बदनाम करने वाले ‘आसाराम’ के अरमानों पर पानी फिर गई। लेकिन, जेल में सलमान उनके पड़ोसी है। ऐसे में सलमान को रात में चौकन्ना रहना होगा। अंत में हमारी तो हीरो से यह ही सुलाह है कि वो केवल फिल्मों में ही ‘हीरोपंती’ किया करे, असल जिंदगी में ‘हीरो’ बनने और उसके जैसे शोक न पाला करे। फुटपाथ पर सोये लोगों को भी अपने चश्मे से देखा करे और चला करे। भला तो करे ही, पर बुरा भी किसी का ना किया करे।

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  1. फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर हीरो या हिरोइन का अपना निजी जीवन पात्र के जीवन से बिल्कुर अलग होता है ये केवल जनता को या फिल्म देखने वाले को उपदेश ही देते है पर कभी भी अपने निजी जीवन में झांक कर नहीं देखते | तुलसीदास जी बहुत पहले ही लिख दिया था “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” अगर इन लोगो का जीवन भी उसी तरह हो जाए जिस तरह की ये शिक्षा देते तो सोने में सुहागा होगा ओर उसका प्रभाव जनता पर ओर अधिक होगा |

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