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परिंदे - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-मनोज चौहान- 1) कविता / परिंदे मैं करता रहा, हर बार वफा, दिल के कहने पर, मुद्रतों के बाद, ये हुआ महसूस कि नादां था मैं भी, और मेरा दिल भी, परखता रहा, हर बार जमाना, हम दोनों को, दिमाग की कसौटी पर । ता उम्र जो चलते रहे,…