pravakta.com
पतझड़ में पत्ते जो देखे ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
पतझड़ में जो पत्ते देखे, कहाँ समझ जग जन थे पाए; रंग बिरंगे रूप देख के, कुछ सोचे वे थे हरषाये! क्या गुज़री थी उनके ऊपर, कहाँ किसी को वे कह पाए; विलग बृक्ष से होकर उनने, अनुभव अभिनव कितने पाए ! बदला वर्ण शाख़ के ऊपर, शिशिर झटोले कितने…