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न लोक ही बचा न तंत्र - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. शशि तिवारी लोक का स्थान स्वयं ने ले लिया और तंत्र का स्थान परिवादवाद ने, बची-कुची कसर जातिवाद के तंत्र ने कर दी। बढ़ते लम्पट तंत्र एवं गिरते राजनीतिक तंत्र से कहीं न कहीं नुकसान गणतंत्र को अवश्य ही हुआ है। गुलाम भारत को स्वतंत्र कराने में जिन नेताओं…