है ! मानुष मन में जरा धीरज धरे।

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है ! मानुष मन में जरा धीरज धरे।
ये कोरोना आया है,एक दिन जरूर टरे।।
जो आवत है वो जावत है,ये प्रकृति नियम न टरे।
जो जन्मा है उसे मरना है इसमें संशय जरा न करे ।।
ये माया तो आवत जावत है काहे इसके फेर में परे।
जब तक है कोरोना तब तक घर पर ही रहे।।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण दसो दिशाएं काल खड़े।
अकाल मृत्यु सारे जग में व्याप्त प्रजा बहुत ही डरे।।
अधर्म का नाश भवो धर्म की बेल ऊपर चढ़े ।
है मानव ! अब तू केवल प्रभु का ध्यान धरे।।
वही तो तुझे बचाएगा तनिक न अविश्वास करे।
है मानष ! मन में जरा धीरज धरे।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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