है ! मानुष मन में जरा धीरज धरे। ये कोरोना आया है,एक दिन जरूर टरे।। जो आवत है वो जावत है,ये प्रकृति नियम न टरे। जो जन्मा है उसे मरना है इसमें संशय जरा न करे ।। ये माया तो आवत जावत है काहे इसके फेर में परे। जब तक है कोरोना तब तक घर पर ही रहे।। पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण दसो दिशाएं काल खड़े। अकाल मृत्यु सारे जग में व्याप्त प्रजा बहुत ही डरे।। अधर्म का नाश भवो धर्म की बेल ऊपर चढ़े । है मानव ! अब तू केवल प्रभु का ध्यान धरे।। वही तो तुझे बचाएगा तनिक न अविश्वास करे। है मानष ! मन में जरा धीरज धरे।।