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नीड़ के तिनकों में फंसे नीदों के टुकड़े - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कही अनकही कुछ कहानियों में बसा, फँसा परिंदा पंखों पर लिए अपार भार यहाँ वहाँ से उड़ने को उद्दृत कुछ शब्दों से उलझता कुछ अर्थों से सुलझता पर निरंतर कार्यरत और सतत संघर्षरत ढूंढता था एक विस्तृत आकाश को समेटता यहाँ वहाँ टुकडों में पड़े आकाश के फैलाव को. स्मृतियों…