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कविता : बर्फ के रिश्ते - विजय कुमार - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बर्फ के रिश्ते अक्सर सोचता हूँ , रिश्ते क्यों जम जातें है ; बर्फ की तरह !!! एक ऐसी बर्फ .. जो पिघलने से इनकार कर दे... एक ऐसी बर्फ .. जो सोचने पर मजबूर कर दे.. एक ऐसी बर्फ... जो जीवन को पत्थर बना दे...... इन रिश्तों…