चार चार हाथी घुस आये|
डर के मारे बिल के सारे,
चूहे बहुत बहुत घबराये|
तब चूहों के ‘मुखिया दादा’,
सभी हाथियों पर चिल्लाये|
बहू बेटियों वाले घर में,
बिना इजाजत क्यों घुस आये|
हाथी बोले बहू बेटियों ,
को हम ढेरों तोहफे लाये |
बचा एक क्वांरा हाथी है,
दुल्हन उसे ढूढ़ने आये |
इसी बात पर चूहे दादा,
हुये मुदित ,मन में मुस्काये|
प्यारी बिटिया मिस चुहिया को,
सजा धजा कर बाहर लाये|
हाथी की चुहिया से शादी?
सबने मिलकर बेंड बजाये|
ब्याह कराकर हाथी भैया,
चुहिया को जंगल ले आये|
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
कांग्रेस के हाथी थे वे छोटे से बिल में जो समाय|
मेल मिलाप से मिस चुहिया को साथ गए लिवाए||