हमें उजाला करना है

old man

रुपये एकत्रित करना है|
हमको गुल्लक भरना है|
इन रुपयों से वृद्धों की,
हमको सेवा करना है|

गली सड़क में इधर उधर,
बूढ़े ठेड़े दिख जाते|
लाचारी में बेचारे,
पीते न कुछ खा पाते|
इनकी झोली भरना है|
इन्हें मदद कुछ करना है|

कपड़े इनके पास नहीं,
सरदी गरमी सह जाते|
सहन नहीं जो कर पाते,
बिना मौत के मर जाते|
हमें दुखों को हरना है|
उनकी रक्षा करना है|

पर सेवा का बच्चों में,
भाव जगाना है हमको|
हाथों में लेकर सूरज,
हमें हटाना है तम को|
हमें उजाला करना है|
अंध‌कार से लड़ना है|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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