{ माँ को समर्पित… हितेश शुक्ला }
आप खुश हो तो मुझे ख़ुशी मिलती है !
जैसे मरुस्थल में नदी मिलती है !!
आपकी ख़ुशी मेरा मनोबल बढाती है !
आपकी ख़ुशी मंजिल पाने की चाह जगाती है !!
आपकी मुस्कान दुःख मे सुख का आभास करवाती है !!
आपकी ख़ुशी जीत की राह दिखलाती है !!
आपका मुस्कुराकर शुभकामनायें देना !
जैसे ईश्वर का मेरी सफलता सुनिश्चित कर देना !!
आपका मुस्कुराना निराशा में आशा जगाता है !
आपका मुस्कुराना जीवन जीने का उद्देश्य बताता है !!
जब आपकी आखों में ख़ुशी की चमक आती है !
चाँद और सूरज की रौशनी को फीका कर जाती है !!
आपकी मुस्कान मेरे प्राण है !
मेरी सफलता का सम्मान है !!
मेरे जीवन का ध्येय है !
मेरी समस्याओं का समाधान है !!
मेरी जीत का प्रमाण है !
तपती दुपहरी में ठंडी छाँव का अहसास है !!
कस्तूरी महक का आभास है !
आपकी मुस्कुराहट मृत्यु के बाद का जीवन दान है !!
इसलिए आपकी मुस्कान ही मेरा भगवान है……….!!
उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद…
आदरणीय संजय जी, आकांक्षा जी,
लक्ष्मीनारायण जी ….
– हितेश शुक्ला
आप की कविता सुनकर मै भावुक हो गयी आप ने क्या खूब कविता लिखी है
आपके मन और जीवन की तरह आपकी बहुत सुंदर भावनाएं हैं। मां वैसे भी इस सृष्टि की सबसे अनुपम रचना है। मां पर लिखना और उसे नित्य स्मरण करना वास्तव में स्तुत्य है। लिखते रहें, मेरी दुआएं।
प्रणाम गुरु जी आपका स्नेहाआशीष न रहे ।
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति ,हार्दिक बधाई ….ढेर सारी शुभकामनाएं …..