नीड़

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तिनके, पत्ते थे साथ चुने

धागे थे अरमानों के बुने

हल्का झोंका भी सह न सका

सूखे पत्तों सा बिखर गया

वह नीड़ अचानक उजड़ गया।

हमने, तुमने मिलकर जिसकी

रचना की थी अपने खूं से

सपना ही कहें तो अच्छा है

जब आंख खुली तो सिहर गया

वह नीड़ अचानक उजड़ गया।

गलती मेरी या हवा की थी

मौसम की थी या ज़माने की

क्या भूलूं किसको याद करूं

किस गली-मोड़ से गुज़र गया

वह नीड़ अचानक उजड़ गया।

सोचा था उसका साथ है जब

कुदरत की है छाया मुझपर

अब थके पैर हैं दिशाहीन

न आये समझ मैं किधर गया

वह नीड़ अचानक उजड़ गया।

कोई एक कदम चलकर भागा

कोई दो पग चलकर रूठ गया

तेरे जाने के बाद प्रिये

अपना भी हमसे बिछड़ गया

वह नीड़ अचानक उजड़ गया।

      विपिन किशोर सिन्हा ‘विनोद’

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विपिन किशोर सिन्हा
जन्मस्थान - ग्राम-बाल बंगरा, पो.-महाराज गंज, जिला-सिवान,बिहार. वर्तमान पता - लेन नं. ८सी, प्लाट नं. ७८, महामनापुरी, वाराणसी. शिक्षा - बी.टेक इन मेकेनिकल इंजीनियरिंग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय. व्यवसाय - अधिशासी अभियन्ता, उ.प्र.पावर कारपोरेशन लि., वाराणसी. साहित्यिक कृतियां - कहो कौन्तेय, शेष कथित रामकथा, स्मृति, क्या खोया क्या पाया (सभी उपन्यास), फ़ैसला (कहानी संग्रह), राम ने सीता परित्याग कभी किया ही नहीं (शोध पत्र), संदर्भ, अमराई एवं अभिव्यक्ति (कविता संग्रह)

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