कविता-पुत्र-पितृ आलिंगन- राजकुमार सोनी

कितना पावन मन भावन

यह पुत्र-पितृ आलिंगन

गणपति-शंकर आलिंगन

 

नमोऽस्तुते जै गिरिजा नंदन

जयति जयति जै गजवदन गजानन

जै गणपति, जै विघ्न विनाशन

 

कितना पावन मन भावन

गणपति- शंकर आलिंगन

 

जयति विनायक, गणाध्यक्ष, इकदन्तन

कपिल, सुमुख, रिद्धि-सिद्धि के स्वामिन

 

विघ्न-विनाशक, घूमकेतु जै विकट गजानन

भालचन्द्र, लम्बोदर हे-

हम सदैव- गजकरण-शरण।

स्वीकारो हे वक्रतुण्ड द्वादश-नामावलि अर्पण।।

 

कितना पावन मन भावन

गणपति- शंकर आलिंगन

 

औंकार-स्वरूपा सर्वेश्वर-प्रदाता-भगवन,

मंगल-मूरत शुभकारी, अज् अनादि, अनंतन।

साक्षात् ब्रह्म, शशिभाल, गजानन,

जनन्नियंता, शुभ-गुण-कानन।।

 

कितना पावन मन भावन

गणपति- शंकर आलिंगन

 

राज सदैव शरण तिहारी,

शिव-सुत हे चतुरानन,

आशापूरक-नारायण, कोटि-कोटिश: वंदन।

संकट काटनहार प्रभु, कोटि कोटिश: वंदन।।

 

कितना पावन मन भावन,

यह पुत्र-पितृ आलिंगन,

गणपति- शंकर आलिंगन।।

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