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कविता-जातिवाद का नरपिशाच - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ नन्द लाल भारती मै कोई पत्थर नहीं रखना चाहता इस धरती पर दोबारा लौटने की आस जगाने के लिए तुम्ही बताओ यार योग्यता और कर्म-पूजा के समर्पण पर खंजर चले बेदर्द आदमी दोयम दर्ज का हो गया जहां क्यों लौटना चाहूंगा वहाँ रिसते जख्म के दर्द का ,जहर पीने…