श्यामल सुमन
मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है
जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है
जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर
लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है
हौसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया
जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है
ख्वाब से हटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी
दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है
जब सुमन को है जरूरत बागबां के प्यार की
मिल गया तो सच में उसकी मेहरबानी और है