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कविता / दुखदैन्य हारिणी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
दुखदैन्य हारिणी के दुख को अब हम सबको हरना होगा, चिंताहरिणी की चिंता पर अब कुछ चिंतन करना होगा। कोई भविष्य में दिव्य नीर को भूतकाल की संज्ञा दे, इससे पहले ही पतित पावनी का जल पावन करना होगा। जय गंगा मईया का स्वर जब मुख से उच्चारित करते हो,…