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कविता : सबकी एक ही पहचान होती - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कौशलेन्द्र काश! मैं भारत का सम्राट होता तो भारत का नाम इण्डिया नहीं भारत ही होता। जो हठ से इसे इण्डिया कहता उसे मैं भारत से बाहर करता। भेज देता वापस चार देशों के आयातित संविधान उनके अपने-अपने देशों में लिखकर यह टीप कि अशोक नहीं लाये थे बाहर…