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कविता/जी लेने दो - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-अनामिका घटक कतरा-कतरा ज़िंदगी का पी लेने दो बूँद बूँद प्यार में जी लेने दो हल्का-हल्का नशा है डूब जाने दो रफ्ता-रफ्ता “मैं” में रम जाने दो जलती हुई आग को बुझ जाने दो आंसुओं के सैलाब को बह जाने दो टूटे हुए सपने को सिल लेने दो रंज-ओ-गम के…