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कविता - गर्म होता समय और हम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अभी समय के भंडार में ब्लैकहोल होने की बात सुगबुगाहट तक सिमित नहीं है और ना ही बची है कोई ओजोन समय के गर्भ मेँ । आज समय का नाप-तौल मापने की सारी शक्ति उदारवाद के चमकते फर्श पर सिसकने को विवश है और कामना के हर कदम पर…