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कविता:काश मै खुदा होता - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
पियूष द्विवेदी बहुत जलन होती है, आकाश में इतराते हुए, अपनी पाँखे फैलाके, उड़ती चिड़िया को देखकर | नहीं सह पाता हूँ, उसके पाँखों को, उसके उड़ने को, और उसकी, इस निश्चिन्त स्वतंत्रता को | पर यही मन, दुखी भी होता है, उन्ही पाँखों को फड़फड़ाते हुवे, उड़ने का विफल…