वोटों पर डालने को डाका
जमूड़े
सबको पहचान लो ?
पहचान लिया
चारो तरफ घूम जा
घूम लिया
जो पूछँ वह बतलाऐगा
हाँ बतलाऊँगा
राजनीति का खेल निराला
काले को सफेद कर डाला
बन न पाया मुद्दा महँगाई
आरपार की शुरू हुई लड़ाई
लोकपाल को भूल रहे है लोग
जनता को लग गया यह रोग
गुटबंदी का खेल चल रहा
अपना ही अपनो को छल रहा
जातिवाद का घिनौना खेल
कब तक यह चलेगी रेल
मुस्लिम वोटों की है होड़
आरक्षण से रहे है जोड़
मायाबी रावण बने सब आका
वोटो पर डालने को डाका
राहुल की सुर्खियो वाली भाषण बाजी
वोट देने को कर पाते क्या उन्हें राजी ?
सभी ने बीस वर्षो में दिया है धोखा
हमे दो पाँच वर्ष का सिर्फ मौका
अमर सिंह की तान निराली
अपनो को ही दे रहे गाली
उत्तर प्रदेश आ रहे लालू
बने बहुत हैं वह तो चालू
बालकुमार ने खोली पोल
गिर सकता उनका गोल
भ्रष्टाचार का लगा इल्जाम
ऐसे खड़े है लोग तमाम
जिनके कपड़ों पर लगे दाग तमाम
कह रहे चुनाव में धोबी का क्या काम
वोटर भी समझते वक्त की नजाकत
चुप्पी साधने की बनाली है आदत
समाजवाद पर हाबी परिवारवाद
वोटर रखेगा इसे भी अब याद
छोटे दलों की सियासी विसात
मंजिल तक नही पहुंची बात
यूपी के बटवारे का नारा
कांग्रेस ने फुस्स कर डाला
बाहुबलियों, अपराधियों का बोलबाला
सशंकित जनता, आगे क्या होने वाला
यूपी के सिघांसन पर आगे कौन
जनता चुप्पी साधे है तो मौन !
चुनावी विसात पर मुद्दो की गोटियां
दल सेक रहे अपनी-अपनी रोटियाँ
शरद ने चलाये माया पर तीर
किसान नेता को बताया वीर
तेवतिया बन सकते प्रतीक
संयुक्त उम्मीदवार की नीति ठीक
विपक्षी दलों ने चला है दॉव
बसपा की डूब रही है नाव
चुनावी में किन्नर नही है पीछे
विधायक बनने वे भी है रीझे
चुनावी मौसम बड़ा गहरा है
चुनाव आयोग का सख्त पहरा है
परिवर्तन की चल रही यूपी में हवा
काम नही कर रही अब कोई दवा।