कविता/जनता सब जानती है

जिसको पुलिस नहीं पहिचाने

जिसको न्यायाधीश न जानें

चोर लुटेरे भ्रष्टाचारी

घूम रहे हैं सीना ताने

गफलत में मत रहना

ये सबकी रग रग पहिचानती है

जनता है ये सब जानती है।।

किसने है यह सड़क बनाई

किसने कितनी करी कमाई

किसने कितना डामर खाया

किसने कितनी गिट्टी खायी

किसको कितना मिला कमीशन

किसने कैसे दी परमीशन

सौ करोड़ का रोड बन गया

देखो तो इसकी कण्डीशन

थोड़ी सी मिट्टी खुदवा दी

ऊपर थोड़ी मुरम बिछा दी

ताबड़ तोड़ चले बुल्डोजर

एक इंच गिट्टी टपका दी

ऐसी कैसी डेमोक्रेशी

जनता की हुई ऐसी तैसी

ट्राफिक बन्द रहा छः महीने

सड़क रही वैसी की वैसी

अन्दर ज्वाला भड़की

बाहर श्मशान की शान्ति है।

जनता है ये सब जानती है।।

किसने कब दंगा करवाया

किसने किस किस को मरवाया

किसने हमको जाति धर्म भाषा

के चक्कर में उलझाया

किसने खेल खेल में खाया

टू जी स्पेक्ट्रम की माया

राजा को केवल दस प्रतिशत

नव्बे प्रतिशत किसने खाया

कैसे कौन कहाँ से आया

किसने थामस को बिठलाया

किसने छोड़ा क्वात्रोची को

किसने एण्डरसन भगवाया

किसने किया खजाना खाली

भर दी बैंक विदेशों वाली

किसने किसने जमा रखी है

कितनी कहाँ कमाई काली

एक बार उठ खड़ी हुई तो

नहीं किसी की मानती है

जनता है ये सब जानती है।।

आओ बदलें सोच पुरानी

कोउ नृप होय हमें का हानी

उठो क्रान्ति की कलम उठाकर

प्रजातन्त्र की लिखें कहानी

जनता प्रजातन्त्र की रानी

राजा कुँवर भरेंगे पानी

बड़े बड़े तानाशाहों को

पल में याद दिलादी नानी

अब तो तनिक बड़े हो जायें

तेवर जरा खड़े हो जायेंबाबा रामदेव के पीछे

मिलकर सभी खड़े हो जायें

पहले भ्रष्टाचार मिटायें

सारा पैसा वापिस लायें

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई

मिलकर इनको सबक सिखायें

दिल्ली के जन्तर मन्तर से

शुरू हो गयी क्रान्ति है

जनता है ये सब जानती है।।

 

-शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

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