आग जब सबकुछ जला देगी
कुछ तिलिस्म
जिंदगी भर के वास्ते
धुंधला जाने के लिए
उम्मीद को छोड़ कर
कहीं से भी चलकर
निरर्थक परिक्रमा नहीं करेगी ।
तय शुदा सुरक्षा के अर्थ
जब बंद हो जाएंगें
सूरज के साथ-साथ हम
मध्यांतर के उल्लास सा
अर्थपूर्ण यात्रा की दुआ लेते हुए
मोक्ष की खोज में
यहीं कहीं भटकते मिलेंगे ।
कहने के लिए
पथ की बाधा के सुख
आंखों मेँ जादू सा तैरते हैं
पर आसमान बन जाना
और सारी पृथ्वी के विरुद्ध
गोलबंद होकर
खड़े हो जाना
कोई दिशा तय नहीं करेगी ।
अपने होने का अर्थ
अवशेष भर नहीं है ।