कविता / मुखौटे वाला

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पहले भी वह मुखौटे बेचता था.

तरह तरह के मुखौटे बेचता था.

किसिम किसिम के मुखौटे बेचता था.

दूकान थी उसकी नुक्कड़ के कोने में.

मुखौटे बनाता भी वह खुद था.

कितने अच्छे थे उसके मुखौटे

राम को मुखौटा लगा दो वह रावण बन जाता.

रावण को मखौटा लगाया वह बन गया राम.

दूकान थी उसकी ,पर चलती ज्यादा नही थी.

लोगों को प्यार था अपनी अपनी सूरतों से.

मुखौटे नही पसन्द थे शायद उन्हें.

थोडे ही लोग इस्तेमाल करते थे इन मुखौटों का.

वह भी कभी कभार.

मैं बताऊं.

बात यह बहुत पहले की है.

मेरे भी आरम्भ के दिन थे वे.

फिर मैं चला गया शहर के बाहर.

लौटा बहुत सालों बाद.

पर अब जो देखा तो बहुत परिवर्तन पाया.

बदली बदली आयी लोगो की निगाहें.

सबकुछ नकली लग रहा था.

और वह मुखौटे वाली दूकान.

वह तो गायब थी नुक्कड के कोने से.

पूछा जब किसी से.

हँस पडा वह मेरे सवाल पर,

प्रश्न शायद बेतुका था उसकी निगाह में.

मैं तो हैरान था.

क्या गलती हो गयी मुझसे

डरते डरते दुहराया मैनें प्रश्न अपना.

वह भी गम्भीर हुआ.

लगा उसे, शायद यह आदमी,

आया है बहुत दिनों बाद.

बोला वह.

लगता है पता नही आपको.

आप आयें इस शहर में बहुत दिनों बाद.

मुखौटे वाला तो बन गया है बहुत बड़ा आदमी.

कारखाना खोल लिया है उसने मुखौटे बनाने की.

रहने लगा है वह बंगले में.

बडा सा शोरुम है उसका मेन मार्केट में.

उसकी कार देखियेगा.

बहुत बडी है और इम्पोर्टेड है.

हो रही थी यह बात कि

आ गया मुखौटेवाला अपनी इम्पोर्टेड कार में.

बताया गया यही तो मुखौटे वाला है.

कार जब उसकी रूकी,

गच्चा खा गया मैं एकबारगी.

विश्वास नहीं हुआ आँखों पर.

क्या कार थी उसकी, क्या ठाट थे उसके.

खुदा का शुक्र है उसने मुझे पहचान लिया.

 

पर सच कहूँ.

मैं उसे नही पहचान पाया.

लगता है उसे मालूम था यह भी.

बोल पड़ा तुरत ही.

मेरे चेहरे पर मत जाइये.

यह असली नही है.

यह तो उन मुखौटों में से एक है,

जिन्हें बदलता रहता हूं मैं समय के साथ साथ.

आपको मालूम है

बहुत बढ गया है मेरा कारोबार.

पर एक कठिनाई तो आपको आयी होगी.

क्या पहचान पाये हैं आप यहाँ के लोगों को

किसी के असली चेहरे तो सामने हैं नही.

ये तो केवल मुखौटे हैं जिन्हें देख रहे हैं आप.

अब मुझे महसूस हुआ.

क्यों बदली नजर आ रही थीं निगाहें.

क्यों नजर आ रहे थे लोग अजनवी.

क्यों खो गयी थी सूरतें जानी पहचानी.

मैं सोच रहा था और वह मुझे देख रहा था.

आप माने या न माने.

बहुत महत्व है इन मुखौटों का आज की जिन्दगी में.

सबसे सफल है आज वह इन्सान,

जिसके पास हजारों तरह के मुखौटें हैं.

और जो जानता है इस्तेमाल इनका.

कई ट़्रेनिंग केन्द्र खुल गये हैं अब तो.

जो सिखाते हैं इस्तेमाल इन मुखौटों का.

मैं स्तब्ध था.

सोच रहा था, क्या होगा उस इन्सान का,

जिसके पास एक भी मुखौटा नहीं,

एक भी मुखौटा नहीं.

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