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कविता - अगली सदी-मोतीलाल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बहुत संभव है चक्कियोँ के पाट से कोई लाल पगडंडी निकल आये और आँसूओँ के सागरोँ पर कोई बादल उमड़ता चला जाये गिरते पानी मेँ कदमोँ की आहट प्रायद्वीप बनने से रहे बहुत संभव है कोहनियोँ पे टिका जमीन पानी मेँ घुले ही नहीँ और बना ले प्रकृति की…