कविता:वृक्ष बगावत कर देंगे

प्रभुदयाल श्रीवास्तव‌

वृक्ष बगावत कर देंगे

पर्यावरण प्रदूषण के यदि नहीं सुधारे गये हाल

तो वृक्ष बगावत कर देंगे जल भी कर देगा हड़ताल |

पेड़ पेड़ डाली डाली के

अंग भंग करते जाते

बहुमंजिलीं बना इमारत

काट काट वन, इतराते

आम नीम पीपल के देवता

भर भर आहें चुपचुप हैं

जंगल अब मैदान बन रहे

एक रात में गुपचुप हैं

अंधाधुंध जंगल कटने पर नहीं किसी को है मलाल

तो वृक्ष बगावत कर देंगे जल भी कर देगा हड़ताल |

 

 

रोज़ करोड़ों लिटर धुंआं

ईंधन का नभ‌ में जाता

विष की काली चादर से

अंबर भी ढक ढक जाता

पर्यावरण प्रदूषण से

ओज़ोन परत है टूटी

ऋतुचक्र अनियमित होने से

हाय प्रकृति भी रूठी

इसी तरह हर रोज गये हम खुद ही बुनते मकड़जाल

तो वृक्ष बगावत कर देंगे जल भी कर देगा हड़ताल |

 

एक वृक्ष काटें तो चटपट

तीन नये लगवायें

कैसे भी हो किसी तरह से

वृक्ष न घटने पायें

नई पीढ़ी को जल जंगल

जमीन का अर्थ बतायें

फैल न पाये कहीं प्रदूषण

बच्चों को समझायें

प्रकृति विरोधी शैतानों की फिर भी गलती रही दाल

तो वृक्ष बगावत कर देंगे जल भी कर देगा हड़ताल |

 

 

 

 

 

 

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