यही हमारा जीवन है सोते-जागते रहने के बीच कुछ सहेजा गया अक्षर कुलांचें भरती बेटी आँगन में रंभाती गाय दीया-बाती दिखाती माँ उसकी मनोवेग प्रार्थना यही हमारा जीवन है । वही सड़कों की धूल धकमपेल से बचता भीड़ आगे और आगे चलते चले जाने की होड़ धकियाते चले जाने की जिद अंधेरे में डिबरी की रोशनी खोजना यही हमारा जीवन है । जलती-बुझती रातें फुटपाथों पर छितराये लोग निन्नावे के चक्कर में लोग भौंकता हुआ वह कुत्ता चिथड़ों के शक्ल में कुचलता अरमान जोड़ों का तलाश की अंतिम बिन्दू हाथ से छुटता हुआ यही हमारा जीवन है । हाँ यही तो जीवन है देर तक देहरी से आँखें बिछाये पथरा गयी आँखें नूचा-खूचा पेड़ छाँव का कतरा ही दे पा रही है उसी जीवन की तलाश में जिसे बुहारा गया है बार-बार अधखुली आँखों के कोरों से यही हमारा जीवन है हाँ यही तो हमारा जीवन है । मोतीलाल