pravakta.com
कविता:तलाश-विजय कुमार - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कुछ तलाशता हुआ मैं कहाँ आ गया हूँ ..... बहुत कुछ पीछे छूट गया है ..... मेरी बस्ती ये तो नहीं थी ..... मट्टी की वो सोंघी महक ... कोयल के वो मधुर गीत ... वो आम के पेड़ो की ठंडी ठंडी छांव .. वो मदमाती आम के बौरो…