मरती रही, जलती रही
अपने अस्तित्व को
हर पल खोती रही
दुख के साथ
दुख के बीच
जीवन के कारोबार में
नि:शब्द अपने पगचापों का मिटना देखती रही
सृजन के साथ
जनम गया शोक
रुदाली का जारी है विलाप
सूख गया कंठ
फिर भी वह आंखों से बोलती रही
जीवन के हर कालखंड में
कभी खूंटी पर टंगी
तो कभी मूक मूर्ति बनी
अनंतकाल से उदास है जीवन
पर
वह हमेशा नदी की तरह बहती रही
-सतीश सिंह
सतीश जी सप्रेम अभिवादन आप का विचारप्रसंसनीय है न व् बरस की हार्दिक बधाई
लक्ष्मी नारायण लहरे पत्रकार कोसीर छत्तीसगढ़
एक ओरत वास्तव में सो शिक्षको के बराबर होती है अगर ये माँ का रूप धरण कर ले तो
सतीश जी एक ओरत वास्तव में सो शिक्षको के बराबर होती है अगर ये माँ का रूप धरण कर ले तो
बहुत सुन्दर चित्रण ………
सवाल : हिन्दू नारी की ये तस्वीर भारत में किसने बनाई?
जवाब : हिन्दू धर्म ग्रंथों ने.
सवाल : वर्तमान में नारी को कौन आगे नहीं बढ़ने देना चाहता?
जवाब : हिन्दू धर्म ग्रंथों के संरक्षक. जिनमें प्रमुख हैं. आर एस एस एवं हिंदूवादी कट्टरपंथी संगठन.
सवाल : नारी समानता के हक़ का कौन विरोध करता है?
जवाब : हिन्दू धर्म ग्रंथों के संरक्षक. जिनमें प्रमुख हैं. आर एस एस एवं हिंदूवादी कट्टरपंथी संगठन.
वन्दे मातरम बंधुवर,
नारी नर की खान है, संसार को देती ज्ञान है,
इसको अबला मत कहो, ये माँ दुर्गा सी महान है,
निरपेक्ष मेटाफर क्या है ….?यह सूरत -ये -हाल .भरपूर नकारात्मकता से लबरेज …यह तो करुणा मई ,मातृत्व -वात्सल्य इत्यादि महिमामय सद्गुणों से बंचित तस्वीर हो सकती है ..