कविता -जवान और किसान

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kisan मिलन  सिन्हा                                       

हरा भरा खेत खलिहान

फिर भी

निर्धन क्यों हमारे किसान ?

देश में नहीं

पानी की कमी

फिर भी

क्यों रहती है  सूखी

यहाँ – वहाँ की जमीं ?

जिसे देखना है वो देखें

किसान जो उपजाता है

उसका वह क्या पता है ?

देश को खिलानेवाला

खुद क्यों भूखा रह जाता है ?

कर्ज के बोझ तले

क्यों खुदकुशी कर लेता है ?

 

देश में लाखों नौजवान

साहसी,शिक्षित और उर्जावान

छोड़कर अपना घर-वार

बनते हैं सीमा के पहरेदार .

गर्मी हो या सर्दी

आंधी हो या हो तूफान

करते हैं देश की सेवा

देकर आपनी जान .

युद्ध हो या हो कोई आपदा

रहते हैं तैयार

हमारे जवान सदा सर्वदा .

पर, क्या इन जवानों का भविष्य

सुरक्षित रह पाता है?

देश इनको

पूरा सम्मान दे पाता  है?

 

कहाँ हैं वे देश के लाल

जो लाल बहादुर कहलाएं,

जय जवान, जय किसान का

वह गौरव फिर से लौटाएं .

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