पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के हालात, विरोध प्रदर्शन : भारत में शामिल हो

कश्मीर

POKडा. राधेश्याम द्विवेदी
गिल्गित बाल्टिस्तान में काराकोरम राजमार्ग पर 20,000 से अधिक पाषाण-कला एवं पेट्रोग्लिफ के नमूने हैं। इनमें से अधिकांश नमूने हुन्ज़ा एवं शातियाल के बीच दस प्रमुख स्थलों में स्थित हैं। ये नमूने इस मार्ग से निकलने वाले आक्रमणकारियों, व्यापारियों एवं तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय निवासियों द्वारा तराशे गये थे। इसके प्राचीनतम ज्ञात काल लगभग 5,000 से 1000 वर्ष ई.पू. के हैं। इनमें साधारण पशुओं, मानवों की तिकोने आकार की आकृतियां हैं। इनमें आखेट के दृश्य हैं, जहां पशुऒं का आकार मनुष्यों से बहुत बड़ा दिखाया गया है। इन नक्काशियों को पाषाण-उपकरणों द्वारा तराश कर एक मोटी पैटिना की पर्त से ढंक दिया गया था, जिससे इनकी आयु का ज्ञाण होता है। पुरातत्त्ववेत्ता कार्ल जेटमार ने इस क्षेत्र के इतिहास की जानकारी पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों से कई शिलालेखों से एकत्रित कर अपनी पुस्तक रॉक कार्विंग्स एण्ड इन्स्क्रिप्शन्स इन द नॉर्दर्न एरियाज़ ऑफ पाकिस्तान में एवं बाद में छपी पुस्तक बिटवीन गांधार एण्ड द सिल्क रोड्स – रॉक कार्विंग्स अलॉन्ग द काराकोरम हाइवे में लिखे हैं।

आजाद कश्मीर या पाक-अधिकृत कश्मीर:- मूल कश्मीर का वह भाग है, जिस पर पाकिस्तान ने 1947 में हमला कर अधिकार कर लिया था। यह भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित क्षेत्र है। इसकी सीमाएं पाकिस्तानी पंजाब एवं उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत से पश्चिम में, उत्तर पश्चिम में अफ़गानिस्तान के वाखान गलियारे से, चीन के ज़िन्जियांग उयघूर स्वायत्त क्षेत्र से उत्तर और भारतीय कश्मीर से पूर्व में लगती हैं। इस क्षेत्र के पूर्व कश्मीर राज्य के कुछ भाग, ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट को पाकिस्तान द्वारा चीन को दे दिया गया था व शेष क्षेत्र को दो भागों में विलय किया गया था: उत्तरी क्षेत्र एवं आजाद कश्मीर। इस विषय पर पाकिस्तान और भारत के बीच 1947 में युद्ध भी हुआ था। भारत द्वारा इस क्षेत्र को पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के) कहा जाता है।[1] संयुक्त राष्ट्र सहित अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं एम.एस.एफ़, एवं रेड क्रॉस द्वारा इस क्षेत्र को पाक-अधिकृत कश्मीर ही कहा जाता है। भारत सरकार ने पाक अधिकृत कश्मीर का नाम बदलकर पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर कर दिया है। भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा में पीओके के लिए 25 सीटें और संसद में 7 सीटें रिजर्व रखी हैं। जम्मू व कश्मीर राज्य का वह हिस्सा है जो इस वक्त पाकिस्तान के क़ब्ज़े में है। पाकिस्तान ने इसे प्रशासनिक रूप से दो हिस्सों में बांट रखा है, जिन्हें पाकिस्तानी सरकारी भाषा में आज़ाद जम्मू-ओ-कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान कहते हैं। ध्यान दें कि यह लेख केवल इस पहले भाग के बारे में है। कभी-कभी पाकिस्तान में आज़ाद जम्मू-ओ-कश्मीर को केवल आज़ाद कश्मीर भी कहते हैं। गिलगित-बल्तिस्तान रहित आज़ाद कश्मीर का इलाक़ा 13,300 वर्ग किलोमीटर (5,135 वर्ग मील) पर फैला है और इसकी आबादी अंदाज़न 40 लाख है। आज़ाद कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद है और इसमें 8 ज़िले, 19 तहसीलीं और 182 संघीय काउन्सिलें हैं। आज़ाद कश्मीर के मीरपुर डवीज़न में ज़िला भिम्बर, ज़िला कोटली और ज़िला मीरपुर, मुज़फ़्फ़रआबाद डवीज़न में ज़िला बाग़, ज़िला मुज़फ्फराबाद और ज़िलानीलम जबकि पुंछ रावलाकोट डवीज़न में ज़िला पूंछ, रावला कोट और ज़िला सुधनती शामिल हैं।
भारतीय स्थिति:- महाराजा हरि सिंह, पूर्व कश्मीर राज्य के महाराजा भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल माउंटबैटन के भारत में विलय के प्रस्ताव को माण गए थे। इस सहायता के बदले में भारत ने सहायता देने का आश्वासन दिया था। इस विलय के उपरांत भारत को तत्कालीन कश्मीर राज्य के वर्तमान भाग पर अधिकार मिला। ये अधिकृत क्षेत्र वर्तमाण नियंत्रण रेखा के पूर्वी ओर कबायली आक्रमणकारियों को हराकर मिला था। भारत का दावा है कि महाराजा हरि सिंह से हुई संधि के परिणामस्वरूप पूरे कश्मीर राज्य पर भारत का अधिकार बनता है। इस कारण भारत का दावा पूरे कश्मीर (पाक अधिकृत कश्मीर एवं आजाद कश्मीर सहित) पर सही है। पाकिस्तान का इस बारे में भिन्न दृष्टिकोण है।
पाकिस्तानी स्थिति:- पाकिस्तान के दावे का आधार 1933 की पाकिस्तान की घोषणा है। इसके अनुसार तत्काळीन जम्मू एवं कश्मीर राज्य भारत के उन पांच उत्तरी राज्यों में से एक था, जिनमें से मुस्लिम बहुमत के आधार पर पाकिस्तान की स्थापना होनी थी। किन्तु भारत का इस बारे में भिन्न दृष्टिकोण है।
प्रशासित प्रभाग( 1947-1970):- पाक-अधिकृत कश्मीर का पूर्ण क्षेत्र स्वतंत्रता पूर्व ही प्रशासित होता रहा। इसके अतिरिक्त हुन्ज़ा-गिलगित के एक भाग, रक्सम एवं बाल्टिस्तान की शक्स्गम घाटी क्षेत्र को, पाकिस्तान द्वारा १९६३ में चीन को सौंप दिया गया था। इस के बारे में कश्मीर विवाद लंबित ही रहा। इस क्षेत्र को सीडेड एरिया या ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट कहते हैं।
1970 के उपरांत:- पाक अधिकृत कश्मीर को प्रशासन के लिये दो भागों में बांटा गया:1. आजाद कश्मीर 2. .उत्तरी क्षेत्र। गिल्गित क्षेत्र महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार को पट्टे पर दिया गया था। बाल्टिस्तान लद्दाख प्रांत के पश्चिम का क्षेत्र था, जि पर पाकिस्तान ने १९४८ में अधिकार कर लिया था। ये क्षेत्र विवादितजम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र का भाग है।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के हालात:- पाक अधिकृत कश्मीर के हालात : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर (भारतीय कश्मीर से 3 गुना बड़ा) है, जहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं। पीओके की सीमा पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनवाला से, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान के वखन कॉरिडोर, उत्तर में चीन के जिंगजियांग ऑटोनॉमस रीजन और पूर्व में जम्मू-कश्मीर और चीन से मिलती है। पीओके को प्रशासनिक तौर पर 2 हिस्सों- आजाद कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान में बांटा गया है।
अक्साई चिन : अक्साई चिन नामक क्षेत्र जो पूर्व जम्मू एवं कश्मीर राज्य का भाग था, पाक अधिकृत कश्मीर में नहीं आता है। ये १९६२ से चीनी नियंत्रण में है। जम्मू एवं कश्मीर को अक्साई चिन क्षेत्र से अलग करने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहलाती है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अक्साई चिन शामिल नहीं है। यह इलाका महाराजा हरिसिंह के समय में कश्मीर का हिस्सा था। 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के बाद कश्मीर के उत्तर-पूर्व में चीन से सटे इलाके अक्साई चिन पर चीन का कब्जा है। पाकिस्तान ने चीन के इस कब्जे को मान्यता दी है। जम्मू-कश्मीर और अक्साई चिन को अलग करने वाली रेखा को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है।
नेहरू और हरिसिंह की गलती :- 1947 में पाकिस्तान के पख्तून कबाइलियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोल दिया जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरिसिंह ने भारतीय सरकार के साथ एक समझौता किया जिसके तहत भारत सरकार से सैन्य सहायता मांगी गई और इसके बदले में जम्मू-कश्मीर को भारत में मिलाने की बात कही गई। भारत ने इस समझौते पर दस्तखत कर दिए। उस समय पाकिस्तान से हुई लड़ाई के बाद कश्मीर 2 हिस्सों में बंट गया। कश्मीर का जो हिस्सा भारत से लगा हुआ था, वह जम्मू-कश्मीर नाम से भारत का एक सूबा हो गया, वहीं कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सटा हुआ था, वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया।
पीओके को लेकर पाकिस्तान की दोहरी नीति है। एक तरफ तो वह इसे आजाद कश्मीर कहता है तो दूसरी ओर यहां के प्रशासन और राजनीति में सीधा दखल कर यहां के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने में लगा है। यहां पर बाहरी लोगों को बसा दिया गया है। पीओके का शासन मूलत: इस्लामाबाद से सीधे तौर पर संचालित होता है। आजाद कश्मीर के नाम पर एक प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है, जो इस्लामाबाद का हुक्म मानता है। 49 सीटों वाली पीओके विधानसभा के लिए 1974 से ही पीओके में चुनाव कराए जा रहे हैं और वहां एक प्रधानमंत्री भी है। लेकिन पीओके या पाकिस्तान के बाहर इस दावे को मान्यता नहीं मिली है। पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद है। पाकिस्तान इसे आजाद कश्मीर के तौर पर विश्व मंच पर पेश करता है, जबकि भारत इसे गुलाम कश्मीर कहता है। पाकिस्तान पर पीओके की निर्भरता भी किसी से छुपी हुई नहीं है।
गिलगिट व बाल्टिस्तान को पहले पाकिस्तान में नॉर्दर्न एरिया कहा जाता था और इसका प्रशासन संघीय सरकार के तहत एक मंत्रालय चलाता था। लेकिन 2009 में पाकिस्तान की संघीय सरकार ने यहां एक स्वायत्त प्रांतीय व्यवस्था कायम कर दी जिसके तहत मुख्यमंत्री सरकार चलाता है। अब इलाके की अपनी असेंबली है जिसमें कुल निर्वाचित 24 सदस्य होते हैं। इस असेंबली के पास बहुत ही सीमित अधिकार हैं या कहें कि न के बराबर हैं। यहां पर शियाओं को किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं है। अलग-अलग समय में वे भारतीय कश्मीर में आकर बस गए हैं और अभी भी उनका आना जारी है।
आतंक का ट्रेनिंग स्थल : यह तथ्य दुनिया से छुपा नहीं है कि पाकिस्नान ने पाक अधिकृत कश्मीर को भारतीय कश्मीर और चीन के जिंगजियांग में आतंकवादी फैलाने के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बना दिया है, लेकिन अब चीन की गतिविधियां बढ़ने के कारण उसने अपना फोकस पूर्णत: कश्मीर पर कर दिया है। 1988 से ही पाकिस्तान आतंकवादियों को यहां ट्रेंड कर जम्मू और कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए भेजता है। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में एक बार उमर अब्दुल्ला ने ताजा जानकारी दी थी कि पाक अधिकृत कश्मीर में अब भी करीब 4,000 कश्मीरी ट्रेनिंग ले रहे हैं। उन्होंने विधायक प्रोफेसर चमनलाल गुप्ता के प्रश्न के लिखित जवाब में विधानसभा में कहा था कि पीओके और पाकिस्तान में कथित रूप से अब भी करीब 3,974 आतंकवादी घुसपैठ की तैयारी कर रहे हैं।
यहां के कश्मीरियों को पाकिस्तान ने ‘आजादी’ का सपना दिखाया है लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि वह समूचे कश्मीर को ही पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहता है। इसी नीति के तहत उसने दोनों ही तरफ के कश्मीरियों में पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी का धीरे-धीरे विकास किया है। दुर्भाग्य से हालिया समय में पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को भी जातीय संघर्ष, आतंकवाद और पाकिस्तान की कब्जा करने वाली नीतियों के कारण आर्थिक और सामाजिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। बद से बदतर है कश्मीरियों की जिंदगी, क्योंकि पाकिस्तान वहां पर विकास के नाम पर कुछ नहीं करता। वह ऐसा तब तक नहीं करना चाहेगा, जब तक कि यह स्पष्ट नहीं हो जाए कि कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा या नहीं?
PoK में पाक सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन :-दुनिया के मंचों पर कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना का नापाक चेहरे से आईबीएन7 के सहयोगी चैनल सीएनएन-आईबीएन ने पर्दा हटा दिया है। जिससे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का असली चेहरा सबके सामने आ गया है। पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद, गिलगित और कोटली सहित कई क्षेत्रों के लोग पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सीएनएन-आईबीएन ने बड़ा खुलासा करते हुए दिखाया है कि पाक अधिकृत कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों के विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना और पुलिस बल प्रयोग करती है। पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों का कहना है कि आजाद कश्मीर किसी भी कानून की नजर से पाकिस्तान का हिस्सा था और न है। लोगों की कहना है कि यहां जो गोली बारी, झगड़ा फसाद होता है उसकी जिम्मेदार पाकिस्तान सरकार है। पाकिस्तानी सेना आवाम पर फायरिंग करती है। वहीं महिलाओं का कहना है कि पाकिस्तान बदमाश है, दहशतगर्द है जो हमारी कश्मीर में आकर दहशत फैलाता है। यहां की पुलिस भी इनसे मिली हुई है जो रिश्वत खाकर हमारे ऊपर जुर्म करती है। हमारे लिए इंडिया ही सही है। लोगों का कहना है कि पाकिस्तानी पुलिस और सेना उनकी मां-बहनों को उठाकर अपने कैंपों में ले जाती है। उनके साथ ज्यादती की जाती है, डंडे बरसाती हैं।
भारत में शामिल होना चाहता है पाक अधिकृत कश्मीर ( PoK ):- पाक अधिकृत काश्मीर के लोगों को न्याय मिलना चाहिए।भारत सरकार को उचित और न्यायसंगत तरीके से इस कार्य में सहयोग करना चाहिए।भारत के सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी यदि दिल से चाहते हुए प्रयास करेंगे तो उन भाइयों की मुराद अवश्य पूरी हो सकती है,भले ही इसमें समय लगे। पाकिस्तानी फौज, आईएसआई और आतंकी संगठनों ने पाक अधिकृत कश्मीर ( PoK ) के माहौल को पूरी तरह बरबाद कर दिया है। जगह-जगह पर आतंकियों ने अपने ट्रेनिंग कैंप खोल रखे हैं। कश्मीर पर घडि़याली आंसू रोने वाला पाकिस्तान दरअसल खुद एक जंग लड़ रहा है। पाकिस्तान के चार ऐसे हिस्से हैं जहां हर रोज आजादी की जंग होती है। हर घर से ये आवाज निकलती है कि “हमें चाहिए आजादी”। “हम ले के रहेंगे आजादी”। “पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह-इंशा अल्लाह”। पाकिस्तान के इन इलाकों में एक नारा और बहुत फेमस है वो है “पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे चार, बंद करो ये अत्याचार”। इस तरह के नारे ना तो हिंदुस्तान में लग रहे हैं और ना लगवाए जा रहे हैं। ये आवाज पाक अधिकृत कश्मीर PoK की है। दरअसल पाक अधिकृत कश्मीर के ज्यादातर लोग पाकिस्तानी हुकूमत से परेशान हैं। यहां पर चलने वाले आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप से दुखी हैं। पाक अधिकृत कश्मीरियों को पता है कि उनके बच्चों का यहां कोई भविष्य नहीं है। ना अच्छी तालीम है और ना ही रोजगार। आतंकियों के गुर्गों को भटके हुए नौजवानों की तलाश रहती है। वो इन युवाओं को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाते हैं और जेहाद के नाम पर मौत की ट्रेनिंग देती हैं।
जबकि पाक अधिकृत कश्मीर में ज्यादातर युवाओं के मां-बाप नहीं चाहते हैं कि उनके जिगर का टुकड़ा अपने बदन पर बारुद बांधे। हाथ में कलम की जगह एके-47 लिए हो। बॉलिंग करने वाले हाथों में हथगोले हों। ये डर PoK के हर बाप का है। हर मां का है। इसीलिए ये लोग PoK को भारत में शामिल करने की मांग करते हैं। लेकिन, सबसे अफसोसनाक बात ये है कि इस तरह की खबरें पाकिस्तानी मीडिया में नहीं आती है। पाकिस्तान चाहता है कि भारत के हिस्से वाले कश्मीर में जनमत संग्रह हो। हकीकत ये है कि पाक अधिकृत कश्मीर के लोग लगातार पाकिस्तान सरकार से ये मांग कर रहे हैं कि यहां पर जनमत संग्रह कराया जाए। लोगों की राय जानी जाए कि वो किस मुल्क को चुनना चाहते हैं। हिंदुस्तान को या फिर पाकिस्तान को। कौन सा मुल्क उनके लिए बेहतर होगा। लेकिन, पाकिस्तान लगातार PoK के लोगों की आवाज दबाता रहा है। इस इलाके में पाकिस्तानी फौज का दमनचक्र चलता है। यहां पर आजादी के नाम पर जितने भी आंदोलन होते हैं उन्हें कुचलने की कोशिश की जाती है।
पाकिस्तानी फौज, आईएसआई और आतंकी संगठनों ने PoK के माहौल को पूरी तरह बरबाद कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक जगह-जगह पर आतंकियों ने अपने ट्रेनिंग कैंप खोल रखे हैं। इस इलाके में खून-खराबा आम बात है। PoK के लोगों की जिदंगी हर दिन, हर वक्त दहशत में गुजरती है। उन्हें हर दिन ये डर सताता है कि ना जाने कब किसकी गोली उनकी जान ले ले। कुछ राजनैतिक संगठन अगर आवाज भी उठाते हैं तो सेना के जुल्म उन पर भी ढहाए जाते हैं। पाकिस्तान नहीं चाहता है कि PoK में हो रही है जुल्म की दास्तान बाहर निकले और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी चर्चा हो। इसलिए हर वो वक्त, बे वक्त कश्मीर का राग अलाप कर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है। क्योंकि पाकिस्तान इस बात को बखूबी जानता है कि भारत में मीडिया जितनी पावरफुल है, पाकिस्तान में उसे कुचलना उतना ही आसान है। इसीलिए पाकिस्तान हर इस मुमकिन कोशिश में रहता है कि घाटी में शांति बहाली ना हो।
कश्मीर में जितनी अशांति होगी। भारतीय मीडिया में उतनी ही ज्यादा खबरें प्रसारित होंगी। जिसका फायदा पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहता है। आपको क्या लगता है कि जिस हालात में PoK के लोग रहते हैं तो वहां पर क्या रोज शांति पाठ होते होंगे। ऐसा हरगिज नहीं है। बस इतना समझ लीजिए कि अगर कश्मीर की हिंसा हिंदुस्तान में हेडलाइंस में हैं तो PoK की हिंसा पाकिस्तानी मीडिया में ब्लैकआउट है। तभी तो PoK की आजादी की मांग घाटियों की वादियों में ही गूंज कर रह जा रही है। टेक्नॉलॉजी के स्तर पर भी PoK का ये इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। इसलिए ज्यादातर लोग यहां पर सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल नहीं कर पाते। PoK के इसी पिछड़ेपन का फायदा पाकिस्तान और आतंकी संगठन खूब उठा रहे हैं। लेकिन, सूत्र बताते हैं कि इस इलाके में कोई ऐसा दिन नहीं गुजरता होगा जब यहां पर “हमें चाहिए आजादी”, “हम ले के रहेंगे आजादी”, “पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह-इंशा अल्लाह”, “पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे चार, बंद करो ये अत्याचार” जैसे नारे ना लगते हों।

1 COMMENT

  1. धारा 370 का समर्थन करने वालों तथा कश्मीरियत का राग अलापने वालों को भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ये धारा केवल भारत में स्थित आजाद कश्मीर के लिए ही नहीं है बल्कि पाकिस्तान द्वारा अधिकृत तथा चीन द्वारा हथियाए गए कश्मीर के हिस्सों के लिए भी है फिर क्यों कश्मीर के उन हिस्सों में कबायली-बलूची-पंजाबी तथा अक्साई चिन में बीजिंग-शंघाई-तिब्बती आ-आ करके बसते जा रहे हैं क्यों ये लोग उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं ??? मीडिया वाले भी इनसे (धारा 370 का समर्थन करने वालों तथा कश्मीरियत का राग अलापने वालों) पाकिस्तान द्वारा अधिकृत तथा चीन द्वारा हथियाए गए कश्मीर के हिस्सों के लिए सवाल क्यों नहीं पूँछते हैं ???

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