पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव की बयार देशभर में है। लेकिन, सप्ताह भर पहले तक राजनीतिक पार्टियों के बीच मुद्दा का टोटा छाया हुआ है। ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक के. एन. गोविंदाचार्य वजनी बातों को समेट कर मुद्दा बनाने की जुगत कर रहे हैं।
राजधानी में 24 मार्च को आयोजित राष्ट्रीय पुनर्निर्माण सम्मेलन में उन्होंने कुछ मुद्दे उठाए, जो अब चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनता दिख रहा है।
राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की ओर से आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में गोविंदाचार्य ने कहा कि आज जनता के पास विकल्प का घोर अभाव है। जिससे लोकतंत्र को खतरा है। ऐसी स्थिति में जनता के पास यह अधिकार होना चाहिए कि चुनाव में खड़े प्रत्याशी पसंद न आने के बावजूद वे लोग मतदान कर सकें। लेकिन, इसके लिए वोटिंग मशीन (ईवीएम) में तमाम बटनों के बीच नोटा यानी (इनमें से कोई प्रत्याशी उचित नहीं) का बटन लगा होना चाहिए। समय का तकाजा है कि स्थानीय स्तर पर जनता स्वयं आगे आकर अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए नोटा की मांग करे।
सम्मेलन में देशभर से इकट्ठा हुए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा था कि स्विस बैंक व अन्य विदेशी बैंकों में भारतीय नेताओं व नौकरशाहों के करीब 70 लाख करोड़ रुपये की अवैध राशि जमा है। जनता इस बात से अनभिग्य है। हमारा कर्तव्य है कि उन्हें सही बातों की जानकारी दें, ताकि जनता अपने प्रतिनिधियों इस बाबत सवाल- जवाब कर सके। हालांकि यह बाद पहले से ही कुछ पार्टियां उठा रही थीं, लेकिन यह चुनावी मुद्दा बनता नजर नहीं आ रहा था। 24 मार्च के बाद से फिजा बदलने लगी है। निश्चित रूप से इसका रंग और भी गाड़ा होगा।
उन्होंने कहा, राजनीतिक पार्टियां विकास की बात कर वोट पाने का अधिकार जता रहीं है। लेकिन, हम पाते हैं कि विकास की अवधारणा मानव केंद्रीत होकर रह गई है। जबकि, यह प्रकृति केंद्रीत होनी चाहिए। गंगा-यमुना की कीमत पर विकास की बातें हो रहीं है। आप कल्पना करें यदि ये नदियां नहीं रहेंगी तो देश का क्या होगा ?
यहां गोविंदाचार्य ने राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान वे अपने-अपने क्षेत्र में इन बातों को जोर-शोर से उठाने की कोशिश करें।
सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेने आए पूर्व चुनाव आयुक्त जी.वी.जी.कृष्णमूर्ति ने ठेठ शब्दों में कहा, यह सच है कि आज जनता के पास विकल्प का अभाव है। राजनीतिक पार्टियां कहती है कि हमारा गुंडा विपक्षी पार्टी के गुंडा से अच्छा है। इसलिए हमारे गुंडे को वोट दें। इसके बावजूद चुनाव सुधार तो संविधानिक प्रक्रिया है। यह संविधान बदलकर ही किया जा सकता है। चुनाव आयोग का काम संविधान व कानून के अनुसार चुनाव कराना है।
ऐसे में साफ है कि चुनाव सुधार की बात करने वाले गोविंदाचार्य को व्यापक आंदोलन चलाना होगा। सम्मेलन में आए लोगों ने कहा कि गोविंदजी हमारे लिए एक उम्मीद हैं। वे जिस बदलाव की बात कर रहे हैं, उसके लिए व्यवस्था से सीधी लड़ाई लड़नी होगी और इसके लिए हम तैयार हैं। अब सही समय उन्हें ही तय करना है कि जयप्रकाश नारायण की तरह वे मैदान में उतरने के लिए कब तैयार होते हैं।
कहीं से भी हो … पहले पहल की आवश्यकता है … धीरे धीरे ही आवाज बुलंद होती है।
Saurabh Tripathi
सही बात है आज सभी लोगो को जागरूक होना होगा, हर उस चीज के लिए जो इस देश को आगे ले जा सकती है! स्विस बॅंक से लेकर उन सभी मुद्दो के लिए जो हमे हमारे अधिकारो से वंचित करते है चाहे वह स्विस बॅंक का काला धन हो यह सरकारी
धन के दुरुपयोग सही कहा जरूर यह मुद्धा होना
सही बात है स्विस बैंक का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनना ही चाहिए।