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चश्मा - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
देवेश शास्त्री .......... उन्हें नीति-नेम, धर्म-कर्म से कोई मतलब नहीं था। उसकी स्वाभाविक वृत्ति राजनैतिक रूप से ऐन-केन प्रकारेण अपना उल्लू सीधा करने यानी कमाऊ जुगाड़ भिड़ाने की रही है। कई बार चुनाव भी लड़ा और हारते रहे, उनका नजरिया चुनाव जीतने की बजाय आलाकमान से मिलने वाले चुनावी खर्चे…