-बीनू भटनागर-
योगेन्द्र और प्रशांत को हटा
मानो बाधायें हो गईं दूर,
साथ में रह गये बस,
कहने वाले जी हुज़ूर।
फ़र्जी डिग्री के किस्से को,
जैसे तैसे रफ़ा दफ़ा किया,
एक सिक्किम से ले आया,
नकली डिग्री और सपूत।
मैंने जनता को स्टिंग सिखाया,
पर वो भी मुझ पर ही आज़माया,
मियां की जूती मिंया के सिर,
मुहावरा याद आया।
मेरी भव बाधा हरो,
महामहिम आया तेरे द्वार,
जंग से जंग ऐसी छिड़ी,
दिखे न जिसका अंत
मैं मुख्यमंत्री दिल्ली का हूं,
सड़सठ विधायक भी लाया हूं,
फिर भी हाथ बंधे हैं मेरे,
कितना बेबस और बेचारा हूं।