प्रधान मंत्री के खिलाफ “राजनैतिक जिहाद” का फतवा – कठमुल्ले मानते हैं देश में आज भी मुग़ल सल्तनत !

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सत्ताधीशों की लगातार कुर्सीपरस्त तुष्टीकरण की राजनीति के कारण भारत के कतिपय कट्टरपंथियों के मन में यह धारणा घर कर चुकी है कि अंग्रेजों के जाने के बाद अब भारत पर उनका ही शासन है ! जीहाँ इसका ताजा तरीन उदाहरण है कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के बदनाम इमाम सैयद नूरउररहमान बरकाती का वह फतवा, जिसमें उसने मुसलमानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राजनैतिक जिहाद का आव्हान किया है ।
भारत की आजादी के बाद यह पहला अवसर है, जब किसी मुस्लिम मौलवी ने इस प्रकार भारत की संप्रभुता को सीधे सीधे चुनौती दी है ! यह चुनौती न केवल भारत सरकार के प्रमुख को दी गई है, बल्कि एक प्रकार से सर्वोच्च न्यायालय की भी अवमानना है, जिसने हाल ही में चुनाव के दौरान धर्म और जाति के प्रयोग को असम्बैधानिक घोषित किया है ! ऐसे समय में जबकि पांच राज्यों में चुनावी आचार संहिता लागू हो चुकी है, एक मुस्लिम मौलवी का मुसलमानों के नाम फतवा, सीधे सीधे चुनाव प्रक्रिया को धार्मिक आधार पर प्रभावित करना है ! बुकराती के इस कलंकी फतवे के बाद भाजपा ने स्वाभाविक ही उसकी गिरफ्तारी की मांग की है, किन्तु यह भी तय है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी यह करने से रही ।
कुख्यात इमाम बरकाती इसके पूर्व भी मस्जिद से लाउड स्पीकर के प्रयोग के खिलाफ दिए गए कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना कर चुका है ! उसने पूर्व में प्रसिद्ध लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ भी फतवा जारी किया था, इतना ही नहीं तो आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद कोलकाता में जनाजा प्रदर्शन कर अपनी हठधर्मीता का प्रदर्शन किया था । कुछ दिन पहले ही इमाम ने केवल इसलिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के खिलाफ पथराव का फतवा जारी किया था, क्योंकि दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान जारी किया था । सिक्यूलर राजनेताओं ने घोषित रूप से मुस्लिम कठमुल्लों को अपनी कुर्सीपरस्ती का हथियार बना लिया है !
इमाम बुर्काती ने यह फतवा ऑल इंडिया मजलिस-ए-शूरा और अखिल भारतीय अल्पसंख्यक मंच द्वारा बुलाई गई एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में दिया । कलकत्ता प्रेस क्लब में शनिवार को आयोजित इस प्रेसवार्ता में बरकाती ने प्रधानमंत्री का सिर और दाढी मूड़ने और मुंह काला करने वाले को 25 लाख का ईनाम भी घोषित किया ।
‘फतवे’ की आलोचना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पार्टी की ओर से पश्चिम बंगाल मामलों के प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आज दिल्ली में कहा कि “हम मांग करते हैं कि ममता बनर्जी तुरंत इमाम की गिरफ्तारी के आदेश दे । देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ फतवा बेहद निंदनीय है।
सिंह ने चेतावनी दी कि यदि पश्चिम बंगाल सरकार ने इमाम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो विरोध प्रदर्शन किया जायेगा ! उन्होंने कहा यह मामला भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच का नहीं है, यह एक धार्मिक नेता द्वारा देश के प्रधानमंत्री के अपमान का है जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। बरकाती ने कहा है कि मोदी साम्प्रदायिक है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ की प्रतीक ! देश के लोग अब ममता बनर्जी को देश का प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं।
फतवे के पीछे की मूल भावना बेहद स्पष्ट है कि देश में अब एक नया शब्द ईजाद किया गया है – “राजनीतिक जिहाद” ! देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था की खामियों का उपयोग कर अब कट्टरपंथी तत्व निर्वाचित केन्द्र सरकार को गिराने और देश को एक बार फिर मुस्लिम भारत बनाने के सपने संजो रहे हैं । वे यह काम खुले आम कर रहे हैं, कोई ढके छुपे तौर पर नहीं !
मौलानाओं और इस्लामी संस्थाओं ने भारतीय लोकतंत्र, उसके प्रतिनिधि और न्याय पालिका के खिलाफ फतवे की जो रणनीति बनाई है, वह बेहद खतरनाक है। उनके होंसले बुलंद होते जा रहे हैं. और वे निकट भविष्य में भारतीय समाज के अन्य स्तंभों पर भी हमला करने से नहीं चूकेंगे ।
क्या पश्चिम बंगाल भारत से अलग है, जहाँ शरीयत कानून लागू हो चुका है ? अपने पवित्र संविधानिक उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हुए भारतीय न्यायपालिका को भी इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना चाहिए और इस मनोवृत्ति पर अंकुश लगाने की पहल करनी चाहिए, अन्यथा देश की भावी पीढी को बहुत अधिक कठिनाईयों का सामना करना पडेगा, और भारत एक बार फिर सोलहवीं शताब्दी के बर्बर राज में पहुँच जाएगा ।

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