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प्राण की आहुति कोई देता ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्राण की आहुति कोई देता, समझ बलिदान कहाँ कोई पाता; ताक में कोई है रहा होता, बचा कोई कहाँ उसे पाता ! रही जोखिम में ज़िन्दगी रहती, सुरक्षा राह हर कहाँ होती; तभी तो ड्यूटी है लगी होती, परीक्षा हर घड़ी वहाँ होती ! चौकसी करनी सभी को होती, चूक…