प्रणब के बजट में चीनी कम, नमक ज्यादा

prnav-mukherjee1-264x300[1]वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के बजट भाषण से देश का कारोबारी जगत उदास है। इसकी झलक शेयर बाजारों में भी देखने को मिली। सोमवार को शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, आयकर की छूट सीमा में 10 हजार की वृद्धि करने को कई लोग अच्छा मान रहे हैं।

वित्त मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में वर्ष 2009-10 का आम बजट पेश करते हुए आयकर छूट की सीमा बढ़ाने और कल्याणकारी व आधारभूत योजनाओं के लिए आवंटन में वृद्धि करने का प्रस्ताव किया है। अपने बजट भाषण में उन्होंने कहा कि चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाना बेहद जरूरी है। अतः इस व्यवस्था में सुधार लाने के उद्देश्य से चुनावी चंदे में पूरी तरह छूट का प्रस्ताव किया गया है।

कई लोगों का मानना है कि वित्त मंत्री टॉफी पकड़ाने का काम कर रहे हैं। ग्रामीण भारत में सड़कों के निर्माण के लिए वित्त मंत्री प्रणब ने वर्ष 2009-10 के बजट में 12 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है। इनमें 1,067 करोड़ रुपये केवल उत्तर-पूर्व राज्यों और सिक्किम के लिए रखे गए हैं।

ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2009 तक एक लाख 46 हजार 185 कि.मी. सड़कें बनाए जाने का प्रस्ताव है, जिससे देश के 59 हजार 564 गांवों को लाभ पहुंचेगा। वित्त मंत्री ने देश में गरीबी आधी करने और प्रत्येक वर्ष 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया कराने का वादा भी किया है। हालांकि, जानकार कहते हैं कि ये वादे हैं वादों का क्या?

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय नदी और झील संरक्षण योजना के लिए 562 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया है। गौरतलब है कि सरकार पहले ही राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का गठन कर चुकी है। वर्ष 2008-09 में राष्ट्रीय नदी और झील संरक्षण के लिए 335 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। पर अब तक कुछ हाथ नहीं आया है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट में कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना की भी बात की। यह योजना 2008 में शुरू की गई थी। इसके तहत 400 लाख किसानों को शामिल करते हुए लगभग 71,000 करोड़ रुपये की एक मुश्त बैंक ऋण माफी की गई थी।

लोकसभा में वर्ष 2009-10 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम संबंधी कार्य शुरू किया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाला प्रत्येक परिवार 3 रुपये प्रति किलो की दर से प्रति माह 25 किलो चावल या गेहूं के लिए कानूनी रूप से हकदार होगा।

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