आईआईटी खड़गपुर में प्रसन्नताविज्ञान केंद्र की स्थापना से प्रसन्नता का होगा मानकीकरण

iit kharagpur

डॉ. शुभ्रता मिश्रा

देश में एक प्रसन्नता से भरा समाचार आया है कि आईआईटी खड़गपुर में इसी साल के शरद सत्र से प्रसन्नता विज्ञान नामक एक नए विषय की शुरुआत होने जा रही है, तो सभी का आश्चर्यमिश्रित प्रसन्न होना स्वाभाविक है। विश्व में विज्ञान के विकास ने विशुद्ध प्रसन्नता का प्रतिशत कम कर दिया है। इसलिए ही शायद आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र सतेंद्र सिंह रेखी ने प्रसन्नता को ही विज्ञान से जोड़ने का एक नवीन प्रयोग करना चाहा है। उनका यह प्रयोग प्रसन्नता विज्ञान को सकारात्मक मनोविज्ञान से जोड़कर एक प्रसन्नतायुक्त पारिस्थितकी तंत्र विकसित करने की एक शुभ पहल कही जा सकती है। आईआईटी खड़गपुर के प्रसन्नता विज्ञान के इस नए पाठ्यक्रम में प्रसन्नता विज्ञान तथा सकारात्मक मनोविज्ञान के माध्यम से सम्भवतः देश के युवाओं को भावनात्मक नियंत्रण द्वारा देश में सुखद सामाजिक व पर्यावरणीय पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का एक अनूठा वैज्ञानिक शोध करने मिलेगा। ‘रेखी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर द साइंस ऑफ हैप्पीनेस’ नाम से आरम्भ किए जा रहे प्रसन्नता विज्ञान के इस अद्वितीय केंद्र में विद्यार्थियों को जीवन की प्रसन्नता संबंधी व्यावहारिक विचारों की शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस केंद्र को श्री रेखी ही वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रहे हैं तथा मानद अध्यक्ष के रूप में वे कार्यक्रम प्रबंधन को भी देखेंगे। आईआईटी खड़गपुर के निदेशक पीपी चक्रवर्ती से लेकर केंद्र के सभी प्राध्यापकगण, वैज्ञानिक और विद्यार्थी ही नहीं, बल्कि हम और आप जैसे आम नागरिक भी इस प्रसन्नता विज्ञान के विषय के जुड़ने से कुछ इतना उत्साहित हो गए हैं मानो निश्चित ही यह विज्ञान प्रसन्नता को किसी यंत्र से कभी भी कहीं भी निर्मित कर पाने में सफल हो जाएगा। प्रसन्नता भी आईआईटी के नवीन शोधार्थियों की नवीन अनुसंधानों की तरह सिद्ध कर पाने में हमारी सहायता कर पाएगी कि मानव शरीर व मस्तिष्क की एक क्रमिक अवस्था का एक परिणाम प्रसन्नता, मानव जीवन का कोई सार्वभौमिक कारक है या प्रसन्नता सापेक्ष या निरपेक्ष है या प्रसन्नता वास्तविक या आभासी है? प्रसन्नताविज्ञान के शोधों से मिले प्राप्त परिणाम देश की दरिद्रता, भुखमरी, बेरोजगारी, जनसँख्यावृद्धि, आतंकवाद, पूँजीवाद और भी न जाने कितने विषयों में प्रसन्नता को आँकड़ों में भरकर शायद देश को इनसे मुक्त कर हर भारतवासी को प्रसन्न कर सके। भारतीय बौद्ध दर्शन कहता है कि जब क्लेश और आकांक्षाएं समाप्त हो जाती हैं तथा सच्चाई व ईमानदारी द्वारा प्रेरित आध्यात्म की परस्पर क्रिया होती है, तब संतोष उत्पन्न होता है। इसी संतोष की सशक्त आंतरिक ऊर्जा के साथ एक और अन्य आतंरिक कारक आत्मविश्वास मिलकर संपूर्ण प्रसन्नता की भावना को जागृत कर सकता है। इसी तरह भगवत् गीता का प्रसन्नताविज्ञान कहता आया है कि मनुष्य यदि जीवन की दुविधाओं से मुक्त है, तो वो स्थितप्रज्ञ और प्रसन्न है। अतः हमें आईआईटी खड़गपुर प्रसन्नताविज्ञान विभाग से आशाएं तो रखनी ही होंगी, ताकि भारत में प्रसन्नता के साथ स्थितप्रज्ञता भी आ सके।

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डॉ. शुभ्रता मिश्रा
डॉ. शुभ्रता मिश्रा वर्तमान में गोवा में हिन्दी के क्षेत्र में सक्रिय लेखन कार्य कर रही हैं। डॉ. मिश्रा के हिन्दी में वैज्ञानिक लेख विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं । उनकी अनेक हिन्दी कविताएँ विभिन्न कविता-संग्रहों में संकलित हैं। डॉ. मिश्रा की अँग्रेजी भाषा में वनस्पतिशास्त्र व पर्यावरणविज्ञान से संबंधित 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उनकी पुस्तक "भारतीय अंटार्कटिक संभारतंत्र" को राजभाषा विभाग के "राजीव गाँधी ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार-2012" से सम्मानित किया गया है । उनकी एक और पुस्तक "धारा 370 मुक्त कश्मीर यथार्थ से स्वप्न की ओर" देश के प्रतिष्ठित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है । मध्यप्रदेश हिन्दी प्रचार प्रसार परिषद् और जे एम डी पब्लिकेशन (दिल्ली) द्वारा संयुक्तरुप से डॉ. शुभ्रता मिश्रा के साहित्यिक योगदान के लिए उनको नारी गौरव सम्मान प्रदान किया गया है।

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