डॉ. हरि बाबु बिन्दल को प्रवासी भारतीय सम्मान

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डॉ. हरि बाबु बिन्दल डॉ. हरि बाबु बिन्दल को प्रवासी भारतीय सम्मान:
डॉ. मधुसूदन

बंगळुरू, भारत में आयोजित, इस (२०१७) वर्ष, जो प्रवासी भारतीयों का सम्मान हुआ उसमें मेरे निजी परिचित मित्र डॉ. हरि बाबु बिन्दल जी का नाम मेरे लिए हर्ष और गौरव का अनुभव कराता है।

आप एक जाने माने, पर्यावरण विशेषज्ञ अभियंता हैं।
*नमामि गंगे* अभियान मे गंगा सफाई के उद्देश्य से महा-महिम प्रधान मंत्री जी को परामर्श देनेवाले बिन्दल जी का यह व्यक्तिगत निजी परिचय मेरे लिए विशेष महत्त्व रखता है। वैसे, अमरिका में गत दो दशकों से , जिन महानुभावों का परिचय और निकटता मुझ में उत्साह जगाते हैं; उनमें डॉ. हरि बिन्दल जी का स्थान विशेष है।महत्त्व पूर्ण है; कि आपने अमरिकन सोसायटी ऑफ इन्जिनियर्स ऑफ इण्डिया ओरिजिन की स्थापना की थी।

आपका भारत-प्रेम आपको सदैव ऐसी भारत-हितैषी प्रवृत्तियों में सक्रिय रखता आया है। जैसे ऊपर कहा है; व्यवसाय से आप पर्यावरण विशेषज्ञ अभियन्ता और विषय के पी.एच.डी. हैं। अमरिका आने से पूर्व आपने उत्तर प्रदेश जल निगम में सेवाएँ दी थी; और माधव इन्जिनियरिंग कालेज में पढाया भी था।

अमरिकी शासन की संस्थाओं में २६ वर्ष, डिट्रॉईट नगर शासन में ६ वर्ष , और निजी परामर्षक अभियंता के नाते ६ वर्ष की सेवा के उपरांत आप निवृत्त हुए हैं।और, आजीविका के उद्योग से निवृत्ति आप को सृजनशील प्रवृत्तियों के उद्यम में विशेष परिणत कर गई है।

आपकी कुल विशेषताओं में, हिन्दी के पक्षधर पुरस्कर्ता और कवि, पर्यावरण विशेषज्ञ अभियंता, हिन्दुत्व के स्वाभिमानी, और हिन्दी कविताओं में छः पंक्तियों के छन्द लिखने में सिद्धहस्त कवि , ऐसी अनेक उपलब्धियाँ और विशेषताएँ गिनाई जा सकती हैं। मेरे लिए , आपका संपर्क और संबंध प्रोत्साहक है। आप की गणना उन मित्रों में है, जिनसे मिलना मुझे सदैव उत्साह और उष्मा अनुभव कराते हैं। और ऐसे भारतीय संस्कृति ्के और हिन्दी के संवाहक मित्रों में डॉ. हरि बिन्दल मेरे लिए अनोखा स्थान भी रखते हैं।

मेरी रुचि के, हिन्दी प्रेमी, कवि और भारतीय संस्कृति के गौरवशाली संवाहक ऐसी अनेक समान रूचियों के कारण हमारी आपस में मित्रता बहुत जमती है। आपका सम्मान जो एक प्रवासी भारतीय के नाते भारत में किया गया, उसका विशेष उल्लेख करते हुए, मुझे गर्व और गौरव का अनुभव हो रहा है।

अभी गत अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति के १७ वें अधिवेशन के अवसर पर ही आपसे भेंट हुयी थी। और भाग्यवशात संध्या के तीन घण्टों के दीर्घ वार्तालाप का और विचार विनिमय का अवसर प्राप्त हुआ था। हिन्दी, संस्कृत और भारत के अनेकविध विषयों पर चर्चा का अवसर रहा।आप हिन्दू अमेरिकन फौण्डेशन, विश्व हिन्दू परिषद (अमरिका) इत्यादि संस्थाओं में भी सक्रिय हैं।

व्यंग्यात्मक शैली की हिन्दी कविताओं मे आप सिद्धहस्त है। आपकी कई रचनाएँ मुझे भाती हैं।
ऐसी बहुमुखी प्रतिभा का आंशिक परिचय पाठकों को कराने के उद्देश्य से, उत्तर प्रदेश में मोदी जी के नेतृत्व में प्रचण्ड विजय पर. आप के लिखे निम्न दो छंदों को प्रस्तुत करता हूँ।

(१) मोदी की जादुई करामात

मोदी यू पी में किये, जादुई करामात,
राजनीति कुनबों की, चली न कोई घात ।
चली न कोई घात, गठन की हाँडी फूटी,
बुआ से मिलने की तो आशा ही टूटी ।
पडी गाँठ रिश्तों में, रहे इधर न उधर,
हाथ रह गये मलते, साइकिल हुई पंचर ।

दिन सुधरेंगे यूपी के, उत्तर उत्तम होय,
कांग्रेस और सपा के, बीतें दिन अब सोय ।
बीतें दिन अब सोय, सोनिया पदवी छोडें,
बेटे को दुल्हिनिया, रुख परिवार से जोडें ।
काम नही आया, राहुल, बेंकॉक का सोर्स,
तीन महीने नहीं, चाहिये तीन वर्ष का कोर्स ।

आप के इस प्रवासी भारतीय सम्मान पर अनेकानेक शुभेच्छाएँ।
सक्रिय रहें; स्वस्थ रहें; लिखते रहें; और——,
इसी प्रकार सेवा करते रहें।

परमात्मा आप को परिवार सहित दीर्घ और स्वस्थ आयु प्रदान करें।
आपके प्रवासी भारतीय सम्मान पर प्यारभरा अभिनन्दन।

आपका मित्र
डॉ. मधुसूदन

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