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राष्ट्रपति की वेदना : कैसे मिले सस्ता-समुचित  न्याय ?? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अरुण तिवारी हज़ारों भारतीय ग़रीब सिर्फ इसलिए जेलों में जीवन गुजारने को विवश हैं, क्योंकि वे न संविधान की मूल भावना से परिचित हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकार व कर्तव्यों से। वे इतने ग़रीब हैं कि जमानत कराने में उनके परिजनों के घर के बर्तन बिक जायेंगे। जुर्म…