मृत्युंजय दीक्षित
केंद्र में तीस वर्षो के बाद किसी दल का पूर्ण बहुमत आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुत ही कम समय में आयाजित होने वाली यह पहली सफल अमेरिका यात्रा मानी जा रही है। सरकार बनने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री का यह सबसे बड़ा विदेशी दौरा था जो कई मायनों में बेहद सफल, अभूतपूर्व व ऐतिहासिक था। मोदी का यह अमेरिकी दौरा यदि ध्यान से देखा जाये तो यह कई भागों में विभाजित था। जिसमें सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मेलन को संबोधित करना तथा मेडिसन स्क्ैवयर में अप्रवासी भारतीयों को सम्बोधन तो महत्वपूर्ण था ही साथ ही साथ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उनकी जो शिखर वार्ता हो रही थी उस पर पूरी दुनिया की निगाहें लगातार लगी रहीं। भारतीय टेलीविजन के इतिहास में यह सम्भवतः पहला ऐसा अवसर था जबकि किसी प्रधानमंत्री की यात्रा का लगातार सीधा प्रसारण किया गया और देश की जनता व प्रबुद्ध वर्ग ने उनके सभी कार्यक्रमों को ध्यान से देखा व भाषणों को सुना।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपना यह दौरा उस समय किया जब वे नौ दिन का नवरात्रि का व्रत रख रहे थे तथा उन्होनें अमेरिका में केवल पानी और निंबू के बल पर लगभग 35 से अधिक बैठकें कर डालीं। अमेरिका में मोदी का इस कदर अभूतवपूर्व स्वागत हो रहा था व वहां के लोगों में इस कदर मोदी का जूनुन सवार था कि अगर वहां पर मोदी चुनाव लड़ रहे होते तो वे वहां के भी राष्ट्रपति निर्वाचित हो सकते थे। अमेरिकी लोगों के स्वागत से तो लगता है स्वामी विवेकानंद को भी पीछे छोड़ दिया है। इस पूरे अभियान को चरम तक पहुंचाने में प्रधानमत्री मोदी ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। मेडिसन स्कैवयर में 360 डिग्री घूमते हुए मंच पर 70 मिनट का लम्बा भाषण देकर उन्होनें भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों व सांसदों के दिल में तो जगह बना ही ली साथ ही उस समय उनका भाषण विश्व के 80 देशों में भी एक साथ देखा व सुना जा रहा था वहां पर भी उनकी लोकप्रियता की दीवानगी देखी ही जा रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका यात्रा में कई मील के पत्थर छुये हैं तथा उन्होनें दिखा दिया है कि कि वे अब पूर्ण बहुमत वाली सरकार के तथा 56 इंच का सीना रखने वाले प्रधानमंत्री है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सभी प्रमुख कार्यक्रमों में हिंदी में बोलकर हिंदी का मान बढ़ाया है। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने संयुक्तराष्ट्र के मंच से पाकिस्तान को सीधा सा करारा जवाब देकर उसको अपनी गलतियों का एहसास करा ही दिया है। यह पहली बार देश के इतिहास में हुआ है जब किसी प्रधानमंत्री के जबर्दस्त दबावों के आगे पाकिस्तान को हुर्रियत प्रकरण पर अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ गयी। यह पहली बार हुआ है कि जब किसी प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पहली बार जी समूह की अवधारणा को नकारते हुये आल महासभा का उल्लेख किया है । अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग हर जगह हिन्दी में संवाद करके एक मिसाल पेश कर दी है कि विदेशों में हिंदी में बात की जा सकती है तथा अपना पक्ष रखा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की यह एक बहुत बड़ी विशेषता सामने आ रही है कि वे सभी जगह भगवदगीता वितरित कर रहे हैं यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को भी विशेष गीता भेंट कर दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अमेरिकी प्रवास के दौरान संयुक्तराष्ट्र की महासभा में जिस प्रकार से पाक शासनाध्यक्ष नवाज शरीफ को जवाब दिया है उससे वह आश्चर्य चकित रह गये हैं। मोदी की अमेरिका यात्रा अविस्मरणीय है । यह एक ऐसी यात्रा बन गयी है जहां भारतीय मूल्यों की जय हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विजन से यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि आने वाला समय केवल और केवल भारत का होने जा रहा है। अगली सदी भारत की होगी। आतंकवाद पर उन्होनें दोहरे मापदंड रखने वाले देशों को सीधी चुनौती भी दे डाली। अमेरिका यात्रा के दौरान भारत- अमेरिका के बीच द्विपक्षीय समझौते भले ही कम हुये हों लेकिन कुछ संदेश तो वैश्विक समुदाय के समक्ष अवश्य चला गया है। कि अब भारत में फिजा बदल चुकी है। अब वह बात नहीं रह गयी है। अब भारत को कोई भी एैरा गैरा डरा नहीं सकता अपनी शर्तों पर झुका नहीं सकता। यह पहली बार हुआ है कि जब किसी प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति से भारतीय पक्षों की खुलकर चर्चा की हो। मोदी की यह यात्रा भारत- अमेरिका सम्बंधों के बीच मील का पत्थर साबित होने जा रही है। भारत के प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में निश्चय ही भारत का मान बढ़ाया है। अब आगे यह देखना है कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का किस प्रकार से सहयोग करता है। यदि अमेरिका के सहयोग से दाऊद जैसे खूंखार भारत विरोधी लोग गिरफ्त में आते हैं या फिर मारे जाते हैं तो फिर भारत – अमेरिका सम्बंधों में और अधिक प्रगाढता आना तय है।
मोदी के ९ दिन के उपवास उपरांत उनकी अथक स्फूर्ति से प्रभावित ओबामा भी योग सीखने की इच्छा प्रकट कर चुका है।
***मेरे परामर्श में एक ग्राहक (क्लायंट) पूछ रहा था, ये कौन भारतीय नेता है, जिसने मॅडिसन स्क्वेअर गार्डन को भर दिया? जो मात्र कलाकारों से ही अपेक्षित हुआ करता है।